चीन ने अपने सबसे बड़े विध्वंसक पोत को समंदर में उतार कर पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है। इतना एडवांस सुपरकैरियर अमेरिका को छोड़कर अभी दुनिया में किसी और देश के पास नहीं है। इस पोत के आने से भारत-अमेरिका समेत सभी प्रतिद्वंदी देशों की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
युद्धपोत फुजियान का ट्रायल शुरू
चीन ने अपने तीसरे सबसे बड़े विमानवाहक युद्धपोत फुजियान का समंदर में ट्रायल शुरू कर दिया है। इस युद्धपोत का नाम चीन के प्रांत फुजियान के नाम पर रखा गया है। यह पूरी तरह से चीन में ही बनाया गया है। अमेरिका से बाहर बना दुनिया का यह पहला अत्याधुनिक और घातक एयरक्राफ्ट कैरियर है। ट्रायल के बाद इसे अगले साल चीन की नौसेना में शामिल होने की संभावना है। इस युद्धपोत की तुलना अमेरिका के गेराल्ड फोर्ड से की जा रही है। बताया जाता है कि इस एयरक्राफ्ट कैरियर से बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान उड़ान और लैंडिंग कर सकेंगे।
फुजियान पोत में तीन रनवे
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि फुजियान का वजन 80,000 टन से भी ज्यादा है। इस पोत में तीन रनवे बनाए गए हैं। इसमें लगा रडार सिस्टम लंबी दूरी की मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है। यह युद्धपोत एक बार में 60 से 70 लड़ाकू विमानों को संचालित कर सकता है। यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम और एडवांस्ड अरेस्टिंग गियर तकनीक से भी सुसज्जित है। इस तकनीक से एक जगह पर खड़े लड़ाकू विमान को गुलेल की तरह तेज झटके से उड़ाया और रोका जा सकता है।
अमेरिका के गेराल्ड फोर्ड से तुलना
अभी तक इस तरह की तकनीक अमेरिका के गेराल्ड फोर्ड विमानवाहक पोत पर उपलब्ध थी। जो अभी तक दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक युद्धपोत है। यह युद्धपोत एक साथ 94 लड़ाकू विमान, सैकड़ों मिसाइलें, हेलीकॉप्टर और दूसरे साजो-सामान ले जाने में सक्षम है। गेराल्ड की क्षमता इतनी ज्यादा है कि यह अकेले किसी भी देश को मिट्टी में मिला सकता है। इसके मुकाबले चीन का फुजियान छोटा है। हालांकि, युद्धपोतों और पनडुब्बियों के मामले में चीनी नौसेना दुनिया में सबसे बड़ी हो गई है। लेकिन, क्षमताओं के मामले में वह अमेरिका से पीछे है।
समंदर में प्रभुत्व जमाना चाहता है चीन
रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि चीन अपने इस युद्धपोत पर जे-15बी और जे-35 नेक्स्ट जेनरेशन लड़ाकू विमान को तैनात करेगा। इसके जरिए चीन अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ाकर प्रशांत महासागर, दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है। उसकी इस कोशिश का अमेरिका और भारत समेत कई देश विरोध कर रहे हैं। सभी देश चीन के इस युद्धपोत को दुनिया की शांति के लिए बड़ा खतरा मान रहे हैं। साथ ही उससे निपटने के लिए अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं।
भारत ने निपटने के लिए कसी कमर
चीन का फुजियान विमानवाहक युद्धपोत भारत के आईएनएसएस विक्रांत से भी बड़ा है। भारत और चीन के पास अभी तक 2-2 विमानवाहक युद्धपोत थे। लेकिन अब चीन ने इस मामले में बाजी मार ली है। कुल युद्धपोतों की संख्या के मामले में भी चीनी नौसेना भारत से तीन गुना बड़ी हो चुकी है। हालांकि, चीन से निपटने के लिए भारत भी अपनी तैयारी में जुटा हुआ है। चीनी पनडुब्बियों को ध्वस्त करते के लिए भारत अमेरिका से पनडुब्बी रोधी हमलावर हेलीकॉप्टर खरीद रहा है। इसके अलावा, फ्रांस के साथ मिलकर अत्याधुनिक क्षमता से लैस पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। साथ ही भारत अपनी मिसाइल क्षमता को भी घातक बना रहा है, जिसके जरिए युद्ध के दौरान दुश्मनों धूल चटाई जा सके।
Arun kumar baranwal