जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन ने एक बार फिर अपनी हरकतों से दुनिया को परेशानी में डाल दिया है। उसने इस बार अंतरिक्ष में युद्ध लड़ने का अभ्यास किया है। सैटेलाइट डॉगफाइटिंग को देख अमेरिका के साथ अन्य देशों ने भी तैयारी तेज कर दी है। चीन के इस कदम से दुनिया पर अंतरिक्ष युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस और यूक्रेन की जंग को समेटने में लगे हैं। वहीं चीन अंतरिक्ष में एक नई जंग की तैयारी कर रहा है। अमेरिकी स्पेस फोर्स ने कहा कि दुश्मन देश अपनी स्पेस वॉर ताकत को बढ़ा रहे हैं। चीन ने सैटेलाइट मूवमेंट्स को सबके सामने पेश किया है। जिसे एक्सपर्ट डॉगफाइटिंग बता रहे हैं। ब्रेकिंग डिफेंस की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। बता दें कि अमेरिकी स्पेस फोर्स मिलिट्री विंग है। यह अंतरिक्ष में अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए सेना को संगठित, प्रशिक्षित और तैयार करने की जिम्मेदारी निभाती है। इसे 2019 में डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान स्थापित किया था। जिससे चीन और रूस जैसे विरोधियों से अंतरिक्ष-आधारित खतरों का मुकाबला किया जा सके। चीन की सैटेलाइट डॉगफाइटिंग को अंतरिक्ष युद्ध की क्षमता प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है। इस दौरान चीनी उपग्रहों ने अंतरिक्ष में दुश्मन के सैटेलाइटों को नष्ट करने, उन्हें घेरने और कक्षा से विस्थापित करने का अभ्यास किया। एक बार अमेरिकी स्पेस फोर्स ने इस प्रदर्शन को चिंताजनक बताया है। अमेरिकी स्पेस फोर्स के शीर्ष जनरल का कहना है कि कॉमर्शियल सैटेलाइटों ने चीनी उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में डॉगफाइटिंग करते हुए देखा है। बता दें कि डॉगफाइटिंग एक तरह के हवाई मुठभेड़ के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। ऐसे में चीन के इस अंतरिक्ष युद्धाभ्यास को अमेरिका के लिए बड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है। शीर्ष जनरल गुएटलीन ने सैटेलाइट डॉगफाइटिंग प्रदर्शन को अमेरिका के लिए बहुत बड़ा खतरा करार दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के दूसरे प्रतिद्वंदियों के साथ मिलकर चीन और बड़ी ताकत बन सकता है। उनका इशारा 2019 में रूस के नेस्टिंग डॉल क्षमता के प्रदर्शन की ओर था। इस दौरान रूस के एक उपग्रह ने एक छोटे अंतरिक्ष यान को छोड़ा जिसने फिर एक अमेरिकी उपग्रह के पास कई पीछा करने वाले युद्धाभ्यास किए। ये व्यवहार संकेत देते हैं कि अमेरिकी सेना और उसके सबसे करीबी दुश्मनों के बीच अंतरिक्ष क्षमता का अंतर कम हो रहा है। सेना के प्रवक्ता ने गुएटलीन की टिप्पणियों पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह आॅपरेशन 2024 में हुआ था। इसमें तीन शियान-24सी प्रायोगिक उपग्रह और दो अन्य चीनी प्रायोगिक अंतरिक्ष यान, शिजियान-605 ए और बी शामिल थे। माना जाता है कि शिजियान-6 सिस्टम में सिग्नल इंटेलिजेंस मिशन है। इस अभ्यास ने कक्षा में जटिल युद्धाभ्यास करने की चीन की क्षमता को प्रदर्शित किया था। बता दें कि अंतरिक्ष युद्ध न केवल उपग्रहों के लिए खतरनाक है बल्कि मानवता के लिए भी खतरा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अंतरिक्ष से आसानी से किसी भी देश को निशाना बनाया जा सकता है। यानी मिसाइल हमला करना बेहद आसान होता है।
Rajneesh kumar tiwari