बीते दिनों चीन ने अपने सबसे बड़े विध्वंसक पोत को समंदर में उतार कर खलबली मचा दी थी। अब चीन से मुकाबले करने और उसे घेरने के लिए अमेरिका ने महाप्लान तैयार किया है। जिसके तहत हिंद प्रशांत क्षेत्र में एफ-35 लड़ाकू विमानों का जमावड़ा लगाया जाएगा।
हिंद-प्रशांत में एफ-35 फाइटर जेट की तैनाती
चीन अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ाकर समंदर में अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है। इससे निपटने के लिए अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बड़ी योजना पर तेजी से काम कर रहा है। इसके तहत अगले एक दशक में 300 से ज्यादा अत्याधुनिक एडवांस एफ-35 फाइटर जेट की तैनाती होने जा रही है। जिससे इस इलाके में चीन की दादागिरी पर नकेल कसने में मदद मिलेगी। इन लड़ाकू विमानों को अमेरिका खुद नहीं, अपने सहयोगी मित्र देशों को सौंपने जा रहा है। जिसमें आॅस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर शामिल हैं।
अत्याधुनिक स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस एफ-35
बता दें कि अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन एफ-35 लड़ाकू विमानों का निर्माण करती है। चीन की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए इंडो-पैसिफिक में अमेरिका के इस विमान की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। लॉकहीड के अनुसार, 2035 तक 300 से ज्यादा एफ-35 विमान इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तैनात किए जाएंगे। पांचवीं पीढ़ी का यह लड़ाकू विमान दुनिया के सबसे ताकतवर विमानों में से एक है। यह विमान अत्याधुनिक स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से विमान रडार की पकड़ में नहीं आता।
एफ-35 लड़ाकू विमानों की बढ़ी मांग
अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि एफ-35 लड़ाकू विमान हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी पसंद क्यों है। दरअसल, एफ-35 लड़ाकू विमान अमेरिका ही नहीं, बल्कि इंडो-पैसिफिक के देशों जैसे जापान, आॅस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया के साथ ही यूरोपीय देशों के पास भी है। ऐसे में भविष्य में होने वाले किसी भी युद्ध में इस विमान को महत्वपूर्ण बढ़त हासिल होने वाली है। युद्ध की स्थिति में मित्र देशों की गठबंधन सेना के पॉयलटों को टारगेट का डेटा हासिल करना आसान होगा। इसके लिए किसी भी एफ-35 नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
अमेरिका पर हवाई ताकत बढ़ाने का दबाव
अमेरिका समेत दुनिया के कई देश समंदर में चीन की बढ़ती ताकत को शांति के लिए बड़ा खतरा मान रहे हैं। ऐसे में अमेरिका के ऊपर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हवाई ताकत को बढ़ाने का दबाव है। चीन ने हाल के वर्षों में अपनी वायुसेना में कई अत्याधुनिक विमानों को शामिल किया है। इसके अलावा, चीन हर साल अपने लिए लगभग 100 जे-20 फाइटर जेट का भी निर्माण कर रहा है। वहीं, अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन हर साल 135 एफ-35 लड़ाकू विमानों का उत्पादन करती है। जिसमें 60 से 70 सहयोगी देशों को भेजे जाते हैं।
Arun kumar baranwal