नई दिल्ली। बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इस ग्रह का मुख्य भाग हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। इसका विशाल आकार और तेज घूमने की गति इसे एक विशिष्ट ग्रह बनाते हैं। वैज्ञानिकों ने इस ग्रह पर भयंकर सफेद रंग के तूफान का पता लगाया है। जिसकी चौड़ाई हमारी धरती से भी ज्यादा है। जिसे देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं। अंतरिक्ष वह विशाल और अनंत क्षेत्र है जो पृथ्वी के वायुमंडल के पार शुरू होता है। जिसमें ग्रह, तारे, उपग्रह, धूमकेतु, क्षुद्रग्रह और अन्य खगोलीय पिंड स्थित होते हैं। सौरमंडल में शामिल बृहस्पति ग्रह पर गैसों के बादलों का जमावड़ा है। जिसकी वजह से इस ग्रह के बाहरी वायुमंडल का रंग हमेशा बदलता रहता है। यहां कोई भी वस्तु वैसी नहीं रहती, जैसी कुछ दिन पहले दिख रही होती है। बृहस्पति ग्रह पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने ग्रह पर एक तूफान की फोटो कैप्चर की है। यह भयानक तूफान बृहस्पति के विशालकाय लाल-भूरे रंग की बेल्ट पर आया है। यह तूफान धरती पर आने वाले चक्रवाती तूफान की तरह है। इसमें से हरे रंग की बिजली कड़कती हुई दिखाई दे रही है। कैप्चर की गई तस्वीरों में दो बड़े-बड़े सफेद धब्बे आगे-पीछे चलते दिखाई दे रहे हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये दोनों सफेद धब्बे असल में दो विशालकाय तूफान हैं। इससे पहले इस तरह का तूफान 2016-17 में रिकॉर्ड किया गया था। हालांकि वैज्ञानिकों को अभी तक इसके वास्तविक आकार का पता नहीं चल पाया है। लेकिन उन्होंने इतना अंदाजा जरूर लगाया है कि यह तूफान पूरी धरती को आसानी से निगल सकता है। इतना हीं नहीं, उनका दावा है कि यह तूफान लंबे समय तक बृहस्पति ग्रह पर मौजूद रहेगा। हरे रंग की रोशनी को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि ये अलग-अलग केमिकल और गैसों वाले बादलों के टकराने से बनी हो सकती है। इसी बेल्ट पर एक तूफान 1973 में आया था, जो 1991 में खत्म हुआ था। इसके बाद वैसा तूफान 2010 में कुछ समय के लिए आया था। वैज्ञानिकों ने नए शोध में पता लगाया है कि ग्रह के इस बेल्ट के रंग में पहले से थोड़ा बदलाव आता है। लेकिन यह ज्यादा समय के लिए नहीं है। उनका का कहना है कि जब बृहस्पति के वायुमंडल गैसों के बादल टकराते या रगड़ते हैं तो बिजलियां पैदा होती हैं और रंग में बदलाव होता है। जबकि धरती पर जब बिजली कड़कती है तो उसमें नीले रंग का प्रभाव ज्यादा होता है। क्योंकि धरती पर पानी की बूंदें मौजूद होती हैं। लेकिन बृहस्पति ग्रह पर बिजलियां हरे रंग में कड़कती हैं। इसका कारण वहां के वायुमंडल में अमोनिया की मात्रा ज्यादा होना बताया है।
Arun kumar baranwal