जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत को लेकर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार आईएसआईएस-के भारत में मौजूद अपने आकाओं के जरिए नए आतंकियों की भर्ती करना चाहता है। संगठन भारत में बड़े पैमाने पर हमले न कर पाने के कारण परेशान है। भारत से सीधे लड़ पाने में अक्षम पाकिस्तान आतंकवादियों के जरिए भारत का सामना करना चाहता है। यह उसकी पुरानी नीति रही है। पिछले महीने जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमले हुए। अब संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट में में कहा गया है कि आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवंत-खोरासान यानी आईएसआईएल-के भारत में बड़े पैमाने पर हमले न कर पाने के कारण परेशान है। अब वह भारत में अपने आकाओं के जरिए ऐसे लड़ाकों की भर्ती करना चाहता है जो अकेले ही हमलों को अंजाम दे सकें। बता दें कि आईएसआईएल, अल-कायदा और उससे जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं के बारे में विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी टीम की 34वीं रिपोर्ट जारी की गई। इसमें कहा गया है कि सदस्य देशों ने चिंता जतायी है कि अफगानिस्तान से पैदा होने वाला आतंकवाद क्षेत्र में असुरक्षा का कारण बनेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि आईएसआईएल-के उर्दू में हिंदू-मुस्लिम द्वेष को बढ़ाने वाली और भारत के संबंध में अपनी रणनीति को रेखांकित करने वाली एक पुस्तिका जारी की है। इसमें कहा गया है कि आईएसआईएल-के इस क्षेत्र में सबसे गंभीर खतरा बना हुआ है। यह अफगानिस्तान से आतंक फैला रहा है। वही दूसरी संगठन अल-कायदा रणनीतिक संयम बरतता है और तालिबान के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देता है। रिपोर्ट के अनुसार, तहरीक-ए-तालिबान यानी टीटीपी, तालिबान और अल-कायदा के बीच समर्थन और सहयोग बढ़ा है। वे अफगानिस्तान में लड़ाकों के साथ प्रशिक्षण शिविर साझा कर रहे हैं। तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान टीजेपी के बैनर तले अधिक घातक हमले कर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि टीटीपी अन्य आतंकवादी समूहों के लिए एक पनाह देने वाले संगठन में तब्दील हो सकता है। आने वाले समय में टीटीपी और एक्यूआईएस का संभावित विलय भारत, म्यांमा और बांग्लादेश के लिए खतरा बन सकता है। वहीं कुछ देशों ने अनुमान जताया है कि आईएसआईएल के लड़ाकों की संख्या 4,000 से बढ़कर 6,000 हो गई है।
Rajneesh kumar tiwari