May 9, 2024
नई दिल्ली। 13 अप्रैल की आधी रात अचानक ईरान ने इजरायल पर मिसाइलों की बारि कर दी। ईरान ने इजरायल पर एक दो नहीं बल्कि 300 से ज्यादा अलग-अलग तरह के ड्रोन और मिसाइल हमले किए। इन हमलों ने दुनिया के सभी देशों को हैरत में डाल दिया। एक ओर जहां दो मोर्चों पर युद्ध चल रहे हैं वहीं अब दुनिया किसी और युद्ध को झेलने की हालत में नहीं हैं। यहां सबसे काबिलेगौर बात यह है कि अगर यह युद्ध होता तो महज दो देशों या कुछ क्षेत्रों पर प्रभाव नहीं डालता बल्कि यह तीसरा विश्व युद्ध भी बन जाता है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि दोनों देशों ने युद्ध से अपने कदम वापस क्यों खींच लिए। इस पर पढ़िए जनप्रवाद की टीम का खास विश्लेण।
1 अप्रैल को पड़ी हमले की नींव
यहां सबसे पहले यह जानने की जरुरत है कि आखिर इन हमलों की वजह क्या रही। आखिरकार ईरान अचानक इतना हमलावर कैसे हो गया। ईरान हमलों की नींव 1 अप्रैल 2024 को पड़ी। 1 अप्रैल को सीरिया में ईरानी दूतावास पर इजरायल ने हमला कर दिया। दरअसल, इजरायल का आरोप है कि ईरान लेबनान में हिजबुल्ला को मिसाइलें और अन्य हथियार भेजने के लिए सीरियाई क्षेत्र का उपयोग करता है। ऐसे में इजरायल ने हथियारों की आवाजाही को रोकने के लिए सीरिया में कई हवाई हमले किए। इसी कड़ी में 1 अप्रैल को युद्धक विमानों से सीरियाई राजधानी दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमला किया गया था। हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) के अल-कुद्स बल के एक वरिष्ठ कमांडर सहित कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। ये सभी दमिश्क दूतावास परिसर में एक बैठक में भाग ले रहे थे। हमले का आरोप सीधे तौर पर इजरायल पर था। हलांकिन इजरायल ने हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली फिर ईरान ने हमलों के पीछे इजरायल का हाथ मानते हुए 13 अप्रैल की आधी रात हमला बोल दिया।
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ईरान ने दागी 300 मिसाइलें
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ईरान ने अंधाधुंध 300 से ज्यादा ड्रोन्स और मिसाइलें दागीं। इनमें किलर ड्रोन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइलें शामिल हैं। जेरूशलम सहित इजरायल के कई शहरों में धमाकों और सायरन की आवाज सुनी गई। गनीमत यह रही कि इजरायली सेना ने एयर डिफेंस सिस्टम को एक्टिवेट कर दिया। साथ ही अमेरिकी डिफेंस सिस्टम के सहयोगी से ईरान द्वारा दागी गई लगभग सभी मिसाइलों को ध्वस्त कर दिया। इस बारे में इजराली सेना के प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने बताया कि ईरान ने इजरायल पर सीधे हमला किया। ईरान के किलर ड्रोन्स पर हमारी नजरें थी। ईरान के हमले में दक्षिणी इजरायल के सैन्य बेस को हल्का नुकसान पहुंचा। इजरायल के एरो एरियल डिफेंस सिस्टम और सहयोगी देश अमेरिका ने मिलकर मिसाइलों को मार गिराया।
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इजरायल का पलटवार
20 अप्रैल को इजरायल ने भी पलटवार किया। इजरायल ने तड़के ईरान के कई शहरों में मिसाइलें दागीं। इजरायल ने ईरान के प्रमुख शहर इस्फहान के न्यूक्लियर प्लांट और एयरपोर्ट को निशाना बनाया। वहीं ईरान ने किसी तरह के हमला होने से इनकार किया। ईरान ने कहा कि वो ड्रोन हमले से प्रभावित नहीं हुआ और उसकी वायु रक्षा प्रणाली ने तीन ड्रोन नष्ट कर दिए। ईरान के प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने जहां इजरायली हमले की खबरों को अधिक तवज्जो नहीं दी वहीं, इजरायली मीडिया का कहना था कि इस्फहान शहर के एयरपोर्ट पर धमाके के बावजूद ईरान की मीडिया वहां सब कुछ सामान्य दिखाने की कोशिश की। इजरायली मीडिया ने हमलों को छिपाने के पीछे ईरान का प्रोपेगैंडा बताया।
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इजरायली पलटवार पर खामोशी की चादर
फिलहाल मध्य पूर्व में सबसे खतरनाक ईरान और इसराइल की दुश्मनी में आया नया दौर लगभग खत्म हो गया। दोनों देशों के साथ अमेरिका, यूरोप या अन्य मुस्लिम देशों ने इसमें रूचि नहीं दिखाई यानी इससे दूरी बनाई। कोई भी देश यह युद्ध नहीं चाहता था। इसी में सभी देशों की भलाई भी थी। इसलिए ईरान ने इजरायल के हमलों को नकार दिया वहीं अमेरिका ने इजरायल की ओर से ईरान पर किए गए काउंटर अटैक पर चुप्पी साध ली। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरिन जीन-पियरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मुझे पता है कि मिडिल ईस्ट की रिपोर्ट में सबकी बहुत रुचि है। मुझे पता है कि आप सभी मुझसे इजरायल का ईरान पर जवाबी हमले के बारे में जरूर पूछेंगे, लेकिन हमें कोई टिप्पणी नहीं करनी है। बाइडन प्रशासन शुरू से ही स्पष्ट रहा है कि वे इस संघर्ष को बढ़ते नहीं देखना चाहते। हम क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ परामर्श करना जारी रखेंगे।
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इजरायल ने युद्ध से क्यों बनाई दूरी
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल पर ईरान के हमले की कड़ी निंदा की। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत कर उन्हें पूरी मदद का भरोसा दिया लेकिन अमेरिका ने साफ शब्दों में कहा कि वह ईरान पर पलटवार करने यानी उस पर हमला करने में इजरायल का साथ नहीं देगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बेंजामिन नेतन्याहू को साफ कहा था कि अगर इजरायल की ओर से ईरान पर जवाबी हमला होता है, तो अमेरिका इसमें तेल अवीव की मदद नहीं करेगा। जर्मनी और ब्रिटेन ने भी इजरायल को ईरान के साथ युद्ध में न उलझने की सलाह दी। इन तीनों देशों ने कहा था कि इजरायल की ईरान के खिलाफ कोई भी जवाबी कार्रवाई मीडिल ईस्ट को बड़े युद्ध की तरफ ले जा सकती है।
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भारत की नसीहत
भारत ने भी इस हमले पर गहरी चिंता जताई। विदेश मंत्रालय ने पश्चिम एशिया के हालात पर बयान जारी करते हुए कहा है कि दोनों देशों को कूटनीति के जरिए मुद्दों का हल करना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम इजराइल और ईरान के बीच बढ़ती शत्रुता से गंभीर रूप से चिंतित हैं जिससे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया। हम तत्काल तनाव कम करने, संयम बरतने, हिंसा से पीछे हटने और कूटनीति (डिप्लोमैसी) के रास्ते पर लौटने का आह्वान करते हैं। यह बहुत अहम है कि क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे।
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रूस की खुली चेतावनी
ईरान और इजरायल की लड़ाई में दुनिया दो धड़ों में बंटते-बंटते रह गई। एक ओर जहां व्हाइट हाउस ने कहा कि अगर इजरायल ईरान पर कोई भी हमला करता है, तो उसमें अमेरिका साथ नहीं देगा। वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह ईरान और इजरायल मामले में दखल न दे। पुतिन ने कहा कि अगर ईरान पर इजरायल के काउंटर अटैक में अमेरिका शामिल होता है तो या किसी तरह से मदद करता है तो हम हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठेंगे। हम खुलकर ईरान के समर्थन में खड़े हो जाएंगे। वही अगर अमेरिका ने इजरायल का साथ दिया होता और उसने ईरान पर हमला कर दिया होता तो दुनिया दो धड़ों में बंट जाती। इससे तीसरा विश्व युद्ध छिड़ जाता।
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ईरान ने भी पीछे खींचे कदम
बता दें कि इस्फहान ईरान का प्रमुख औद्योगिक शहर है। जहां ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल बनाने वाले कारखाने हैं। इसी शहर पर इजरायल ने हमला किया था। ऐसा लगता है कि एक छोटे अभियान से एक शक्तिशाली चेतावनी दी गई है कि इसराइल के पास ईरान के दिल पर हमला करने के लिए जरूरी खुफिया जानकारी और ताकत है। यह हमला केवल एक शुरूआती हमला था। साथ यह ईरान के लिए संकेत भी था कि अगर वह जंग में उतरता है तो उसे भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। इससे खतरनाक स्थिति पैदा होने का खतरा था। इजरायल के साथ बने तनाव के वातावरण में नई दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास ने कहा है कि ईरान की सरकार संयुक्त राष्ट्र के नियमों का पालन करेगी। अपने क्षेत्र में शांति व स्थिरता को बढ़ाने के लिए रचनात्मक कदम उठाएगी। ईरान ने कहा कि उसका जवाबी कार्रवाई करने का कोई इरादा नहीं है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव युद्ध में तब्दील न होकर, यहीं पर रुक गया।
Rajneesh kumar tiwari