नई दिल्ली। अंतरिक्ष से अजीब और रुक-रुक कर आने वाला एक रेडियो सिग्नल दुनियाभर के खगोलविदों को हैरत में डाले हुए है। इन रेडियो तरंगों को न तो पहले कभी देखा गया था और न ही पहले कभी सुना गया था। अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों पर हमेशा खगोलविदों की नजर बनी रहती है। हमारी पृथ्वी के बाहर कई ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, जिनसे हम अनजान रहते हैं। वहीं अंतरिक्ष में होने वाली हलचल हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा भयानक और बड़ी हो सकती है। इन दिनों पृथ्वी के बाहर कुछ ऐसा ही हुआ है जिससे दुनियाभर के खगोलविद चिंता में है। अंतरिक्ष से अजीब और रुक-रुक कर आने वाला एक रेडियो सिग्नल दुनियाभर के खगोलविदों को हैरत में डाले हुए है। हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जो दुनियाभर के लोगों में उत्सुकता और डर दोनों पैदा कर रही है। रिपोर्ट की मानें तो हाल ही खगोलविदों को ऐसे रेडियो तरंग मिले हैं जिसे न उन्होंने न पहले कभी देखा न ही पहले इसके बारे में सुना है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह बेहद हैरतअंगेज है। रुक रुक कर आने वाली यह आवाज एक चक्र पूरा करने में लगभग एक घंटे का समय लेती है। इन अजीबोगरीब आवाजों के बारे में सामने आई रिपोर्ट में यह बताया गया है कि यह आवाज कभी एकदम लंबी धुन की तरह आती है। वहीं कभी यह उज्ज्वल रूप से चमक जाती है, जबकि कई बार यह बहुत ही तेज सुनाई देती है। वहीं कभी-कभी एक कमजोर लहर पैदा करती है। जानकारों का कहना है कि कभी-कभी यह आवाज का चक्र अचानक सन्नाटे में पसर जाता है। इस बारे में खगोलविदों ने कहा कि हम यह स्पष्ट नहीं कह सकते कि असल में यहां हो क्या रहा है। शायद हो सकता है कि यह कोई असामान्य न्यूट्रॉन तारा हो, लेकिन इसके अलावा भी हम अन्य संभावनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। ऐसे में खगोलविदों के मन में इस आवाज को लेकर कई तरह के संदेह हैं। कुछ लोग इस आवाज को एलियन से भी जोड़ रहे हैं। हालांकि इस बारे में कुछ भी कहना सही नहीं होगा। बता दें कि बीते कई दशकों से वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। वो पृथ्वी से करीब चार लाइट ईयर दूर ऐल्फा सेन्चुरी नाम के तारामंडल में जीवन की तलाश शुरू करने वाले हैं। यहा सवाल उठ रहा है कि क्या वैज्ञानिक एलियन्स को खोज पाएंगे? क्या पृथ्वी से दूर कहीं और भी जीवन है? इसी क्रम में कुछ समय पहले ही नासा की इंटरनेशनल टीम ने ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट की मदद से एक नए ग्रह की खोज की थी, जो पृथ्वी से लगभग 40 प्रकाश वर्ष दूर है। इसका साइज और वायुमंडल पृथ्वी की ही तरह दिखता है। यह ग्रह अब तक के खोजे गए किसी रहने योग्य एक्सोप्लैनेट्स में से सबसे करीब है। यह रहने योग्य पृथ्वी के सबसे करीब वाला गृह बताया जा रहा है।
Rajneesh kumar tiwari