नई दिल्ली। अंतरिक्ष के रहस्य की खोज में जुटे वैज्ञानिकों को एक और बड़ी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसे तारे का पता लगाया है जिसका आभामंडल देवताओं जैसा दिखाई देता है। नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से ली गई तस्वीरों को देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं। इससे पहले ऐसा नजारा कभी नहीं देखा गया है। वैज्ञानिकों ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से नीले रंग के वेगा नामक तारे की खोज की है। इस तारे का आकार सूर्य से लगभग दोगुना बड़ा है। यह पृथ्वी से लगभग 25 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह नंगी आंखों से दिखाई देने वाला पांचवां सबसे चमकीला तारा है। उन्होंने इससे पहले किसी तारे को एकदम संपूर्ण रिंग जैसी डिस्क से घिरा नहीं देखा था। डिस्क की मौजूदगी से वैज्ञानिकों को यह संकेत मिला है कि वेगा तारे के आसपास कोई ग्रह नहीं बना होगा। रिसर्च के अनुसार, वेगा तारा करीब 500 करोड़ साल पुराना है। वैज्ञानिक पिछले 20 वर्षों से वेगा के चारों ओर मौजूद धूल और गैस की 161 बिलियन किलोमीटर चौड़ी डिस्क का अध्ययन कर रहे हैं। इस डिस्क ने लगभग 4.5 बिलियन वर्ष पहले, सूर्य के जन्म के तुरंत बाद, सौरमंडल में ग्रहों को जन्म दिया था। शोध में वैज्ञानिकों को डिस्क में कोई छेद नजर नहीं आया, जिससे यह पता चलता है कि इस तारे के पास किसी ग्रह का निर्माण नहीं हुआ है। यह डिस्क तस्वीरों में देवताओं के पीछे दिखने वाले आभामंडल जैसी है। शोध में वैज्ञानिकों ने टेलीस्कोप की मदद से वेगा तारे की डिस्क पर नजर डाली। इस दौरान उन्हें जो तस्वीरें दिखाई दी वह अब तक की सबसे साफ तस्वीरें हैं। शोध के मुताबिक, वेगा की डिस्क ‘पैनकेक’ जैसी चिकनी दिखाई देती है, इसमें ग्रहों का कोई संकेत नहीं मिला है। स्टडी के सह-लेखक एस्ट्रोनॉमर एंड्रास गैस्पार के अनुसार, वेगा डिस्क बेहद चिकनी है। यह एक रहस्यमय प्रणाली है क्योंकि यह उन अन्य डिस्कों से अलग बिल्कुल अलग है जिन्हें हमने अभी तक देखा है। इससे पहले वैज्ञानिकों ने हबल स्पेस टेलीस्कोप के जरिए भी वेगा तारे की तस्वीरें ली थीं। इन तस्वीरों और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से ली गई तस्वीरों में एकरूपता दिखाई दे रही है। दोनों तस्वीरों में वेगा के चारों ओर एक काली पट्टी देखी जा सकती है। हालांकि, यह तारे से लगभग 60 खगोलीय इकाइयों यानी सूर्य से नेपच्यून की दूरी से दोगुनी दूरी पर दिखाई देता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह आभामंडल किसी एक्सोप्लैनेट की वजह से नहीं, बल्कि तारकीय विकिरण द्वारा वेगा तारे से दूर उड़ाए जा रहे छोटे धूल कणों का नतीजा है।
Arun kumar baranwal