नई दिल्ली। अंतरिक्ष में बढ़ता कचरा मानवता के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। जैसे-जैसे विज्ञान ने अंतरिक्ष तक पहुंच को आसान बनाया है, वैसे-वैसे वहां छोड़े गए उपग्रहों, रॉकेट के अवशेषों का ढेर भी बढ़ता जा रहा है। अगर इसे रोका नहीं गया तो धरती पर सूरज की रोशनी के भी लाले पड़ जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने अंतरिक्ष में बढ़ते जाम को लेकर गंभीर चिंता जताई है। मौजूदा समय में धरती की निचली कक्षा में 14 हजार से ज्यादा सैटेलाइट्स हैं। इनमें साढ़े तीन हजार सैटेलाइट्स तो बेकार हो चुके हैं। इनके साथ-साथ लॉन्च, टकराव और टूट-फूट से करीब 12 करोड़ मलबे के टुकड़े भी जमा हो गए हैं। पैनल का कहना है कि अगर यह जाम और बढ़ा तो सूरज की रोशनी फिल्टर होकर धरती पर आएगी। ऐसा भी संभव है कि 100 से 1000 किलोमीटर तक की ऊंचाई में इतना ट्रैफिक हो जाए कि रोशनी धरती पर आए ही नहीं। अंतरिक्ष यातायात समन्वय को लेकर बनाए गए संयुक्त राष्ट्र के पैनल का कहना है कि कचरे को लेकर देशों और कंपनियों को सोचना चाहिए। उन्हें सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग को सीमित करना चाहिए। अगर कंपनियां और देश मिलकर काम नहीं करेंगे तो यह समस्या और गंभीर हो जाएगी। उन्होंने तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय ढांचा तैयार करने का आह्वान किया है। जिससे अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे पर रोक लगाई जा सके। पैनल के अनुसार, अंतरिक्ष यातायात समन्वय में देरी करने का समय नहीं है। क्योंकि बहुत ज्यादा संख्या में सैटेलाइट्स हो जाने पर उनके ट्रैफिक को मैनेज करना मुश्किल हो जाएगा। अंतरिक्ष में इतनी सारी वस्तुएं भेजी जा रही हैं कि अंतरिक्ष सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। पैनल का कहना है कि पृथ्वी की निचली कक्षा को सुरक्षित रखना जरूरी है ताकि वैश्विक संचार, नेविगेशन और वैज्ञानिक अन्वेषण के पीछे की तकनीक में किसी तरह के व्यवधान को रोका जा सके। पैनल ने सलाह दी कि अलग-अलग सैटेलाइट लॉन्च करने से बेहतर है कि सभी मिलकर एक ही सैटेलाइट को लॉन्च करें। इससे अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे पर लगाम लगेगी। लेकिन, इस मामले में दो सबसे बड़े देश चीन और रूस सबसे ज्यादा मुसीबत बढ़ा रहे हैं। इसी साल अगस्त में चीन के रॉकेट का एक हिस्सा फट गया था, जिससे हजारों की संख्या में कचरा फैल गया था। वहीं, जून में रूस का एक सैटेलाइट फट गया था। जिसके चलते इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के एस्ट्रोनॉट्स के जीवन पर संकट पैदा हो गया था। एक अनुमान के अनुसार, आने वाले वर्षों में हजारों और उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में भेजे जाएंगे, जिससे अंतरिक्ष में टकराव की आशंका भी बढ़ती जा रही है।
Arun kumar baranwal