नई दिल्ली। साल 2024 के दूसरे चंद्रग्रहण का काउंट-डाउन शुरू हो चुका है। अंतरिक्ष की घटनाओं के लिए यह सप्ताह बेहद रोमांचकारी होने जा रहा है। इस अनोखी खगोलीय घटना को देखने के लिए आप भी दिल थाम लीजिए। सुपरमून के दौरान होने वाला यह चंद्रग्रहण दुनिया के बड़े हिस्से में दिखाई देगा। अंतरिक्ष में जल्द ही एक अद्भुत नजारा दिखाई देने वाला है। क्योंकि, साल का दूसरा चंद्रग्रहण होने में सिर्फ दो दिन शेष हैं। यह खगोलीय घटना 17-18 सितंबर को सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के एक सीध में आने पर घटित होती है। इस दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा के ऊपर पड़ेगी, जिससे रात में एक रोमांचक दृश्य दिखाई देगा। हालांकि, यह चंद्रग्रहण आंशिक होगा। बता दें कि आंशिक चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के केवल एक हिस्से पर पड़ती है। खगोलविदों के अनुसार, यह चंद्रग्रहण भारत में 18 सितंबर को सुबह के समय लगेगा। दिन का समय होने के चलते यह भारत में दिखाई नहीं देगा। उस समय दुनिया के जिन हिस्सों में रात होगी, वहां पर चंद्रग्रहण को देखा जा सकेगा। भारतीय समयानुसार, आंशिक चंद्रग्रहण सुबह 7 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा और 8 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगा। चंद्रग्रहण का चरम समय सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर सुबह होगा। जबकि उपछाया ग्रहण 6 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगा और 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। खगोलविदों के अनुसार, इस चंद्रग्रहण को दुनिया के बड़े हिस्से में देखा जाएगा। रात के समय चंद्रग्रहण को उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण रूप से देखा जा सकेगा। जबकि, अफ्रीका के हिस्से, पश्चिमी एशिया और रूस में आंशिक चंद्रग्रहण दिखाई देगा। अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में भी इस खगोलीय घटना का दीदार किया जा सकेगा। इस ग्रहण की खास बात यह होगी कि सौरमंडल का छल्लों वाला ग्रह शनि चंद्रमा के करीब चमकता हुआ दिखाई देगा। इस बार चंद्रग्रहण सितंबर विषुव के करीब होने वाली पूर्णिमा को हो रहा है, जिसकी वजह से यह बेहद खास है। गर्मियों की आखिरी पूर्णिमा को चंद्रमा सामान्य पूर्णिमा की अपेक्षा बड़ा दिखाई देगा। इसी वजह से इसे ‘सुपरमून’ भी कहा जाता है। इसके अलावा, इसे ‘हार्वेस्ट मून’ के नाम से भी जाना जाता है। इस नाम को पुराने जमाने में किसानों ने दिया था। दरअसल, उस समय बल्ब और मशीनों का आविष्कार नहीं हुआ था। जिसके चलते किसानों को रात में फसल काटने के लिए चांद की रोशनी पर निर्भर रहना पड़ता था। विषुव की पूर्णिमा के दौरान चांद बड़ा होने से किसानों को फसल काटने में आसानी होती थी।
Arun kumar baranwal