December 26, 2024
नई दिल्ली। अंतरिक्ष की घटनाओं पर दिलचस्पी रखने वाले के लिए नया साल बेहद खास होने वाला है। नववर्ष के पहले महीने में ही एक के बाद एक कई धूमकेतु धूम मचाने वाले हैं। यह घटना 114 वर्ष के बाद घटने जा रही है। यह इसलिए भी खास है क्योंकि इस अद्भुत नजारे को नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। आने वाले जनवरी के महीने में अंतरिक्ष में एक बड़ा रिकॉर्ड बनने जा रहा है। आमतौर पर पूरे साल 8 से 10 धूमकेतु पृथ्वी के नजदीक से गुजरते हैं। इसमें से एकाध धूमकेतु ही नग्न आंखों से दिखाई देता है। लेकिन, जनवरी में आकाश में तीन धूमकेतु दिखाई देने वाले हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि तीनों को ही बिना दूरबीन के देखा जा सकेगा। खगोलविदों ने संभावना जताई है कि इसमें एक धूमकेतु तो इतना चमकीला होगा कि इसे दिन के प्रकाश में भी देखा जा सकता है। खगोलविदों के अनुसार, 29पी श्वासमैन-वाचमैन नाम का धूमकेतु सुबह के समय उत्तरी गोलार्ध में दिखाई देगा। यह साल के पहले ही दिन दिखाई देगा। इसे स्पष्ट रूप से देखने के लिए संभवत: एक दूरबीन की आवश्यकता हो सकती है। इस धूमकेतु की खोज वर्ष 1927 में हुई थी। इसे अपने निरंतर विस्फोटों के लिए जाना जाता है। दूसरा 333पी लीनियर धूमकेतु जनवरी के दूसरे सप्ताह में शाम को आकाश में दिखाई देगा। इसे बिना दूरबीन के देखे जाने की संभावना है। 2007 में खोजा गया यह धूमकेतु बृहस्पति परिवार से संबंधित है। तीसरा धूमकेतु सी2024 जी3 एटलस पृथ्वी और सूर्य के निकटतम होगा। इसे 13 और 14 जनवरी को चरम दृश्यता पर पहुंचने की उम्मीद है। इसे बिना दूरबीन के ही देखा जा सकेगा। यह इतना चमकीला होगा कि इसके दिन के आकाश में भी नजर आने की संभावना है। खगोलविदों के मुताबिक, धूमकेतु हमारे सौर मंडल में पाए जाने वाले बर्फीले और धूल से बने खगोलीय पिंड हैं। ये पिंड सूर्य की परिक्रमा करते हैं और उनकी कक्षाएं बहुत लंबी होती हैं। जब ये सूर्य के करीब आते हैं, तो इनकी बर्फ पिघलने लगती है और ये एक पुच्छल तारे की तरह दिखने लगते हैं। खगोलविदों के मुताबिक, धूमकेतु अस्थायी पिंड हैं और उनकी आयु सीमित होती है। जब वे सूर्य के निकट आते हैं तो अपनी बर्फ खो देते हैं और धीरे-धीरे वाष्पित हो जाते हैं। बता दें कि इससे पहले एक प्रसिद्ध हेल-बॉप धूमकेतु 1997 में पृथ्वी के पास से गुजरा था। इसके अलावा, शूमेकर-लेवी 9 धूमकेतु 1994 में बृहस्पति ग्रह से टकराया था, जिससे एक बड़ा विस्फोट हुआ था। 2011 में तेज चमक वाला लवजॉय धूमकेतु पृथ्वी के पास से गुजरा था। खगोलविदों ने धूमकेतुओं के अध्ययन को बहुत जरूरी बताया है। उनका कहना है कि ये धूमकेतु सौर मंडल के गठन और विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं।
Arun kumar baranwal