जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के एक और बड़े रहस्य से पर्दा उठा दिया है। यह रहस्य उन उल्कापिंडों को लेकर है जिनकी धरती से टकराने की खबरें आती रहती है। वैज्ञानिकों ने यह खुलासा किया है कि आखिरकार इन उल्कापिंडो से धरती कैसे बच जाती है। आगे उनका क्या प्लान है। स्टेरायड्स और धूमकेतु समय-समय पर पृथ्वी से टकराते रहे हैं। जुलाई महीने में कई उल्कापिंडों के धरती के पास गुजरने की खबरें आई। वहीं कई उल्कापिंड तो धरती पर खतरा बनकर बरसने वाले थे लेकिन वैज्ञानिकों की सावधानी से बड़े खतरे टल गए। ऐसे में यहां सवाल यह है कि पृथ्वी पर आर रही आसमानी मुसीबतों को कैसे टला जा सकता है। फिलहाल नासा के पास धरती को स्टेरायड्स और कामेट से बचाने की योजना तैयार है। डबल स्टेरायड्स रिडायरेक्शन टेस्ट डीएआरटी की सफलता से प्रेरित होकर नासा ने हाल ही में एक नई प्लैनेटरी डिफेंस स्ट्रैटेजी एंड एक्शन प्लान जारी किया है। इसमें नासा ने चेतावनी देने के लिए संभावित खतरनाक वस्तुओं को खोजने, पहचानने और फिर उन्हें दूर धकेलने के अपने प्रयासों का वर्णन किया है। अमेरिकी एजेंसी की यह 10-वर्षीय रणनीति पृथ्वी के निकट स्टेरायड्स और कामेट के साथ विनाशकारी मुठभेड़ से बचाने के प्रयासों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है। नासा की योजना को लेकर प्लैनेटरी डिफेंस आफिसर लिंडले जानसन ने जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर एस्टेरायड्स के प्रभाव से विनाशकारी तबाही की आशंका है। यह एकमात्र प्राकृतिक आपदा है जिसे मानवता के पास पूरी तरह से रोकने के लिए पर्याप्त तकनीक है। उन्होंने पृथ्वी पर आ रहे खतरों को टालने के बारे में बताया कि उल्कापिंडों पर लगातार नजर रखी जाताी है। पहले वैज्ञानिक यह आकलन करते हैं कि यह पृथ्वी के कितने पास से उतरेगा। पृथ्वी को खतरों से बचाने और ग्रहों की रक्षा के लिए प्रत्येक रिपोर्ट के प्रभाव और खतरों का अध्ययन भी किया जाता है। अगर वैज्ञानिकों को यह आशंका होती है कि यह उल्कापिंड अपनी दिशा बदल सकता है या पृथ्वी के पास से गुजरेगा तो उसके अनुसार कार्ययोजना तैयार की जाती है। इसके बाद दुनिया भर के वैज्ञानिक मिलकर एक बड़ी कार्ययोजना तैयार करते हैं। अपोलो अंतरिक्ष यात्री रस्टी श्वेकार्ट ने ग्रहों की रक्षा के बारे में कई बार बात की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्टेरायड्स को मोड़ने के लिए आवश्यक तकनीक पहले से ही मौजूद है। श्वेकार्ट ने कहा कि खतरा पैदा करने वाले अधिकांश स्टेरायड्स को डिफ्लेक्ट करने के लिए हमें किसी बड़े टेक्नालाजी विकास कार्यक्रम में जाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देशों के बीच समन्वय और सहयोग आवश्यक है। श्वेकार्ट ने कहा कि भविष्य में हम स्टेरायड्स की मार पड़ने के संभावित कारणों का पता लगा रहे हैं। साथ ही नई तकनीक विकसित कर रहे हैं जिससे हमें भविष्य में कभी भी ऐसे स्टेरायड्स से नहीं टकराना पड़ेगा जो पृथ्वी पर जीवन को खतरे में डाल सकता है।
Rajneesh kumar tiwari