जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे वंदेभारत और अमृतभारत ट्रेन के बाद एक और खास ट्रेन दौड़ाने जा रहा है। इसकी खासियत यह होगी कि यह न तो बिजली से चलेगी और न ही डीजल से। यह ट्रेन हाइड्रोजन से चलेगी। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहली ट्रेन का रूट भी तय हो गया है। रेलवे के अनुसार प्रोटोटाइप ट्रेन को दिसंबर 2024 में चलाने की तैयारी है। देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन बनकर तैयार हो चुकी है। इसका ट्रायल भी किया जा चुका है और जल्दी ही यह ट्रेन आम यात्रियों के लिए चलाई जाएगी। यह जानकारी केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। उन्होंने बताया कि हाइड्रोजन ट्रेन की पहली तस्वीर आरडीएसओ ने जारी कर दी है। इस ट्रेन को आरडीएसओ ने ही डिजाइन किया है, जिसे इंटिग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में बनाया गया है। आरडीएसओ के निदेशक उदय भोरवनकर ने बताया कि देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन हरियाणा के जींद से सोनीपत के बीच चलेगी। उम्मीद है कि यह ट्रेन मार्च-अप्रैल 2025 तक चलने लगेगी। इस ट्रेन में आठ कोच होंगे, जो 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। हाइड्रोजन ट्रेन में हाइड्रोजन के लिए कंपार्टमेंट लगे होंगे और इसे फ़्यूल में कन्वर्ट करने के लिए 4 बैटरियां भी लगी होंगी। खास बात है कि दुनिया के कई देशों में रोड ट्रांसपोर्ट में तो हाइड्रोजन फ्यूल सफल है, लेकिन रेल ट्रांसपोर्ट में इसका सफल प्रयोग नहीं हो पाया है। हाइड्रोजन ट्रेन के इंटरनल डिजाइन की बात करें तो ड्राइवर डेस्क के पीछे कंट्रोल पैनल होगा, जिसके पीछे 210 किलोवॉट की बैटरी लगी होगी। इसके बाद फ्यूल सेल और उसके पीछे हाइड्रोजन सिलेंडर कास्केड-1, 2 और 3 होगा। इसके बाद फिर फ्यूल सेल होगा। आखिर में 120 किलोवॉट की बैटरी लगी होगी। बता दें कि अब तक सिर्फ जर्मनी, स्विट्जरलैंड और चीन में हाइड्रोजन फ्यूल वाली ट्रेन बनी है। जर्मनी को छोड़कर यह ट्रेन किसी अन्य देश में सफल नहीं हो पाई है। जर्मनी में यह ट्रेन चल रही है जिसमें सिर्फ दो कोच लगे हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बड़ी बात यह है कि हम इस टेक्नोलॉजी पर मास्टरी करना चाहते हैं। अब तक दुनिया में यह कहीं भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल नहीं हो पाई है। अन्य देशों में 1000 हॉर्स पावर तक की ट्रेन तैयार की गई, जबकि हम 1200 हार्स पावर पर काम कर रहे हैं। बता दें कि आरडीएसओ ने इस ट्रेन का फिलहाल नमो ग्रीन रेल नाम रखा है। वहीं अश्विनी वैष्णव का कहना है कि अभी हाइड्रोजन ट्रेन का कोई नाम नहीं रखा गया है। जब इसके बारे में ऐलान किया जाएगा, तभी ट्रेन का नाम भी रखा जाएगा। यह तय है कि इस ट्रेन को जल्द ही चलाया जाएगा। हाईड्रोजन गैस से चलने वाले इंजन धुएं की बजाय भाप और पानी छोड़ेगा। ट्रेन पारंपरिक डीजल इंजन की तुलना में 60 फीसदी कम शोर करेगा। इसकी रफ्तार और यात्रियों को ले जाने की क्षमता भी डीजल ट्रेन के बराबर होगी।
Rajneesh kumar tiwari