वाशिंगटन। दुनिया के दो महान लोकतंत्र देशों में इस बार के चुनाव ऐतिहासिक होंगे। दशकों दोनों देशों में एक साथ चुनावी प्रक्रिया देखी गई। एक ओर जहां भारत में सात चरणों में 19 अप्रैल से 1 जून तक मतदान होंगे वहीं अमेरिका में नवंबर में मतदान होंगे। अमेरिका की चुनाव प्रक्रिया बेहद लंबी और पेंचीदगी भरी होती है इसलिए यहां चुनाव में समय लंबा लगता है। भारत की तरह अमेरिका भी इस चुनाव में 1956 का इतिहास दोहराएगा। पढ़िए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव समेत अन्य मुद्दों पर पूर्ण विश्लेष। अमेरिका अब यह तय हो चुका है कि अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव किसके-किसके बीच होगा। मार्च महीने में हुए प्राइमरी चुनाव में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके प्रतिद्वंद्वी एवं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की। राष्ट्रपति बाइडन ने जहां डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में जीत हासिल की वहीं डोनाल्ड ट्रंप भी रिपब्लिकन प्राइमरी चुनाव में संभावित उम्मीदवार बन गए हैं। अब नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में फिर से मुकाबला होने की संभावना बढ़ गई है। 77 वर्षीय ट्रंप और 81 साल के बाइडन ने कई प्रांतों मेंं जीत हासिल की। दोनों दलों के उम्मीदवारों ने जरूरी डेलीगेटस का समर्थन हासिल कर लिया।
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दोहराया जाएगा 1956 का इतिहास
इस साल पांच नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में बाइडन और ट्रंप फिर से आमने-सामने होंगे। 1956 के बाद ऐसा पहली बार होगा। बाइडन ने नवंबर 2020 में हुए चुनाव में ट्रंप को हरा दिया था। यह एक ऐतिहासिक मोड़ है जब 70 साल के बाद अमेरिकी राजनीति में दो समान दावेदार राष्ट्रपति पद के लिए आमने-सामने होंगे। यानी दोनों पिछले उम्मीदवार रिपीट होंगे।
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अमेरिकी चुनाव पर एक नजर
अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 2 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया के बारे में जिक्र है। अमेरिकी संविधान में इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव की व्यवस्था है। यह विधि तब वजूद में आई जब अमेरिका के संविधान निर्माताओ के दो धड़ों के बीच समझौता हुआ। अमेरिकी संविधान निर्माताओं का एक धड़ा इस पक्ष में था कि अमेरिकी संसद को राष्ट्रपति चुनने का अधिकार मिले। वहीं, दूसरा धड़ा जनता की सीधी वोटिंग के जरिए राष्ट्रपति चुने जाने के हक में था। इलेक्टोरल कॉलेज को इन दोनों धड़ों की अपेक्षाओं की बीच की एक कड़ी माना गया। अमेरिका में दो राजनीतिक पार्टियों की व्यवस्था है। वहां चुनाव हर चार साल में एक बार होते हैं।
पहला चरण: प्राइमरी और कॉकस उन प्रतिनिधियों के चयन में मदद करते हैं जो आगामी सम्मेलनों में लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये केवल दो तरीके हैं जिनके जरिए लोग राज्यों और राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुनने में मदद करते हैं।
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कॉकस: यह एक ऐसा चरण है जिस पर पार्टी के सदस्य चर्चाओं और वोटों की एक सीरीज के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार का चयन करते हैं। यह राष्ट्रीय पार्टी सम्मेलन के लिए प्रतिनिधियों का चयन करने के लिए एक राजनीतिक दल के स्थानीय सदस्यों की बैठक है। कॉकस को प्राथमिक (प्राइमरी) चुनावों का विकल्प कहा जाता है।
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प्राइमरी: इसमें पार्टी के सदस्य सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार चुनने के लिए मतदान करते हैं जो आम चुनाव में उनका प्रतिनिधित्व करेगा। अधिकांश राज्यों में राष्ट्रपति चुनाव से छह से नौ महीने पहले प्राइमरीज होती हैं। जैसे इस समय अमेरिका में चुनाव चल रहे हैं। प्र्राइमरी मतदाता गुप्त मतदान करके अपना पसंदीदा उम्मीदवार गुमनाम रूप से चुनते हैं। मुख्य फोकस आयोवा, न्यू हैम्पशायर, नेवादा और साउथ कैरोलिना के नतीजों पर होता है। इन क्षेत्रों के नतीजे आमतौर पर यह निर्धारित करते हैं कि प्रत्येक पार्टी के लिए अंतिम राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन होगा। बता दें कि अमेरिकी चुनाव की इस प्रक्रिया में दोनों दलों की ओर से क्रमश : ट्रंप और जो बाइडन अपनी-अपनी पार्टियों की की ओर से जीत हासिल कर चुके हैं।
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राष्ट्रपति चुनाव
दूसरा चरण: राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए किसी उम्मीदवार को प्रतिनिधियों का बहुमत हासिल करना होता है। प्राइमरी में चुने गए पार्टी प्रतिनिधि दूसरे दौर में पार्टी के सम्मेलन (कन्वेंशन) में हिस्सा लेते हैं। कन्वेनशन में ये प्रतिनिधि पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं। इसी दौर में नामांकन की प्रक्रिया होती है। राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार अपनी पार्टी की ओर से उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनता है।
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तीसरा चरण : अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव की कहानी यहीं खत्म नहीं हो जाती है। आम चुनावों में अमेरिका के प्रत्येक राज्य में लोग राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए मतदान करते हैं। ये चुनाव नवंबर के पहले मंगलवार को होते हैं। यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता। जब लोग अपना वोट डालते हैं, तो वे वास्तव में लोग पसंदीदा निर्वाचकों के लिए मतदान कर रहे होते हैं।
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चौथा चरण: अमेरिका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे नागरिकों द्वारा नहीं किया जाता है। इसके बजाय, उन्हें निर्वाचकों द्वारा इलेक्टोरल कॉलेज नामक प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाता है। इलेक्टोरल कॉलेज एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक राज्य के निर्वाचक या प्रतिनिधि अपना वोट डालते हैं और यह निर्धारित करते हैं कि राष्ट्रपति कौन होगा। प्रत्येक राज्य को उसकी जनसंख्या के आकार के आधार पर मतदाताओं की संख्या दी जाती है। ये इलेक्टर एक इलेक्टोरल कॉलेज बनाते हैं, जिसमें कुल 538 सदस्य होते हैं। बता दें कि इलेक्टर चुनने के साथ ही आम जनता के लिए चुनाव खत्म हो जाता है। अंत में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य मतदान के जरिए अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल मत जरुरी होते हैं।
Rajneesh kumar tiwari