जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। इससे एक ट्रेड वॉर यानी व्यापार युद्ध छिड़ गया है। ऐसे में साफ है कि ट्रेड के क्षेत्र में ये तनातनी आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने जा रही है। ट्रंप के कदम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भूचला आ गया है। दूसरी ओर ट्रंप के फैसले पर कनाडा ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। इसी तरह चीन ने भी अमेरिका को चेतावनी दी है। फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व में भारत की टैरिफ नीतियों की कड़ी आलोचना की है। वह भारत को टैरिफ किंग तक कह चुके हैं। भारत ने हाल ही में हाई-एंड मोटरसाइकिल, कार और स्मार्टफोन पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी कम की है। इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे हार्ले-डेविडसन, टेस्ला और ऐपल को फायदा होगा। भारत के कदम को ट्रंप के टैरिफ से बचने की कोशिश की तरह देखा गया है। भारतीय अधिकारी इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। वे ट्रंप के अगले कदम के लिए तैयारी कर रहे हैं। अमेरिका अगर टैरिफ लगाता है तो भारत भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है। अमेरिका द्वारा कनाडा के उत्पादों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के एक दिन बाद ही कनाडा की सरकार ने भी पलटवार किया है। कनाडा के वित्त मंत्री डोमिनिक लीब्लांक ने अमेरिका के उन उत्पादों की सूची जारी कर दी, जिन पर कनाडा की सरकार टैरिफ लगाने जा रही है। कनाडा द्वारा अमेरिका से आने वाले करीब 30 अरब डॉलर कीमत के उत्पादों पर टैरिफ लगाया जाएगा। इन उत्पादों की सूची में अमेरिका में बनने वाली शराब, घरेलू सामान, औजार, हथियार, डेयरी उत्पाद, फल, सब्जियां, कपड़े आदि चीजे हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका द्वारा चीनी वस्तुओं पर 10 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले की निंदा की। उन्होंने इसका विरोध करते हुए अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करने की चेतावनी दी। चीन ने बताया कि अमेरिका की तरफ से टैरिफ बढ़ोतरी विश्व व्यापक संगठन यानी डब्ल्यूटीओ के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। इसके खिलाफ चीन डब्ल्यूटीओ में मुकदमा दायर करेगा। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कदम घरेलू स्तर पर अमेरिका की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता है और इससे किसी भी पक्ष को लाभ नहीं होने वाला है। चीन, मैक्सिको और कनाडा की मुद्रा पर अमेरिकी टैरिफ का असर देखने को मिला है। तीनों ही देशों की मुद्रा में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को आफशोर ट्रेडिंग में चीन का युआन रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने के फैसले के बाद मैक्सिको के पेसो और कनाडा के डॉलर में कई वर्षों के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली। दोनों की ही मुद्राएं कई वर्षों के मुकाबले निचले स्तर पर आ गईं हैं। इससे व्यापार युद्ध बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है। टैरिफ लगाने लेकर पूरी दुनिया के बाजारों में डर का माहौल है। इस माहौल में भारतीय रुपया भी 67 पैसे गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को शुरूआती ट्रेड में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 87 रुपये 29 पैसे रही। भारतीय मुद्रा रुपया लगातार दबाव में है। विदेशी फंड के भारतीय बाजार से लगातार निकलने और तेल आयातक देशों द्वारा डॉलर को प्रमुखता दिए जाने के बाद से डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है। घरेलू शेयर बाजार में फरवरी महीने और कारोबारी हफ्ते के पहले कारोबारी दिन भारी गिरावट देखी गई। शुरूआती कारोबार में सेंसेक्स 731 अंक गिरकर 76,774 अंक पर आ गया। ऐसे ही निफ्टी 243 अंक गिरकर 23,239 अंक पर पहुंच गया।
Rajneesh kumar tiwari