September 3, 2024
नई दिल्ली। अमेरिका में बहुत जल्द दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी का निर्माण होने जा रहा है। इस बैटरी की क्षमता इतनी ज्यादा है जिसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे। बैटरी के एक बार चार्ज होने पर इलेक्ट्रिक कार करोड़ों किलोमीटर तक का सफर कर सकती है। इतना ही नहीं, यह पृथ्वी के कई चक्कर भी लगा सकती है। अमेरिका के लिंकन में फॉर्म एनर्जी नाम की एक स्टार्ट-अप कंपनी है। यह कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी बनाने की योजना पर काम कर रही है। ऐसी बैटरी का निर्माण अभी तक किसी देश ने नहीं किया है। कंपनी के अनुसार, इस बैटरी के निर्माण का मुख्य उद्देश्य पावर ग्रिड से तनाव को कम करना है। अमेरिका की डिपार्टमेंट आफ एनर्जी फाइनेंस इस प्रोजेक्ट के लिए कंपनी की मदद कर रही है। डिपार्टमेंट आफ एनर्जी ने ऊर्जा भंडारण समाधान के निर्माण के लिए 147 मिलियन डॉलर का अनुदान मंजूर किया है। कंपनी ने दावा किया है कि अगर उसकी योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया तो यह बैटरी 8,500 एमडब्ल्यूएच यानी मेगावाट-घंटे इलेक्ट्रिसिटी स्टोर करने में सक्षम होगी। कंपनी के सीईओ और सह-संस्थापक माटेओ जारामिलो के अनुसार, यह बैटरी सिस्टम दुनिया के किसी भी सिस्टम की तुलना में सबसे ज्यादा एनर्जी स्टोर करने में सक्षम होगी। मौजूदा समय में कैलिफोर्निया की एडवर्ड्स और सैनबोर्न सोलर-प्लस-स्टोरेज प्रोजेक्ट के पास इसका रिकॉर्ड है, जो 3,287 एमडब्ल्यूएच स्टोर करने के लिए 1,20,000 से ज्यादा बैटरी का उपयोग करता है। कंपनी का कहना है कि 8,500 एमडब्ल्यूएच ऊर्जा इतनी ज्यादा है कि इसकी सिर्फ एक एमडब्ल्यूएच से इलेक्ट्रिक कार 5,800 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकती है। अगर इस नई बैटरी को किसी तरह इलेक्ट्रिक कार से जोड़ दिया जाए तो यह एक चार्ज में लगभग 5 करोड़ किलोमीटर की यात्रा कर सकती है। इतना ही नहीं, यह पृथ्वी की 1228 बार परिक्रमा करने के लिए पर्याप्त है। हालांकि, इस बैटरी को कार से जोड़ना संभव नहीं है। बता दें कि एक लैपटॉप बैटरी की क्षमता लगभग 65 डब्ल्यूएच होती है, जिसका अर्थ है कि नई बैटरी 13 करोड़ गुना ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी स्टोर कर सकती है। दुनिया की यह सबसे बड़ी बैटरी कैसे काम करेगी, इस पर कंपनी का कहना है कि इसे नई आयरन-एयर बैटरी सिस्टम का उपयोग करके बनाया जाएगा, जो ‘रिवर्सिबल रस्टिंग’ की प्रक्रिया का उपयोग करके काम करती है। कंपनी के अनुसार, जब बैटरी डिस्चार्ज होती है, तो यह हवा से आक्सीजन लेती है और बैटरी के अंदर मौजूद लोहे को जंग में बदल देती है। फिर, जब बैटरी रिचार्ज होती है तो प्रक्रिया उलट जाती है और जंग को वापस लोहे में बदल देती है और हवा में आक्सीजन छोड़ती है।
Arun kumar baranwal