जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। सीमा पर अब जवानों को नई शक्ति मिलने जा रही है। भारत में बनी पिस्टल की गोलियां आतंकवादियों के साथ दुश्मनों की धज्जियां उड़ा देगी। भारत सरकार ने 550 स्वदेशी मशीन पिस्टल खरीदने की अनुमति दे दी है। इससे पहले भी इतनी ही मात्रा में ये गन खरीदी गई थी। कभी अमरीकी सेना के हथियारों के बेड़े का हिस्सा रही अस्मि मशीन पिस्तौलें अब जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों को धार देंगी। इन्हें जरूरत के हिसाब से पिस्तौल या सब मशीन गन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। नॉर्दन कमांड के अनुरोध को रक्षा मंत्रालय की खरीद समिति ने मंजूरी दे दी। इसके तहत 550 स्वदेशी मशीन पिस्टल अस्मि की खरीद की जाएगी। बता दें कि इससे पहले भी 550 गन्स खरीदी गई थीं। भारतीय सेना के इस आर्डर से रक्षा उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा। इस गन को कर्नल प्रसाद बंसोड ने डीआरडीओ के साथ मिलकर बनाया था। बाद में इसे हैदराबाद की लोकेश मशींस नाम की कंपनी बना रही है। यह बंदूक पूरी तरह से स्वदेशी है। नजदीकी जंग यानी क्लोज कॉम्बैट में छोटे, घातक और हल्के हथियारों का इस्तेमाल होता है। ऐसे में अस्मि काफी कारगर साबित होगी। बता दें कि अस्मि एक संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब है गर्व, आत्मसम्मान और कड़ी मेहनत। इसे बनाने में 4 महीने लगे थे। इसके दो वैरिएंट्स हैं। 9 एमएम की मशीन पिस्टल का वजन सिर्फ 1.80 किलोग्राम है। इसके ऊपर किसी भी तरह के टेलिस्कोप, बाइनोक्यूलर या बीम लगाए जा सकते हैं। इसकी लंबाई 14 इंच है। वहीं बट खोलने पर यह बढ़कर 24 इंच हो जाती है। इस पिस्टल को एल्यूमिनियम और कार्बन फाइबर से बनाया गया है। इसकी सटीक रेंज 100 मीटर है। मैगजीन में स्टील लाइनिंग होने की वजह से गोलियां इनमें नहीं फंसेंगी। अस्मि मशीन पिस्टल की मैगजीन को पूरा लोड करने पर 33 गोलियां आती हैं। यह पिस्टल एक मिनट में 600 गोलियां दाग सकती है। इसका लोडिंग स्विच दोनों तरफ हैं। यानी दोनों हाथों से ये पिस्टल चलाना आसान होता है। मशीन पिस्तौल के साथ अटैचमेंट कर इसे सब-मशीन गन बना दिया जाता है। जरूरत पड़ने पर इसे अटैचमेंट से अलग कर पिस्तौल की तरह इस्तेमाल करना संभव है। क्लोज क्वॉर्टर बैटल के लिए उपयुक्त ये पिस्तौलें ऐसे हालात में कारगर होती हैं। आतंकियों पर यह कहर बनकर टूटती है। बता दें कि आतंकियों से हाथों-हाथ लड़ाई की स्थिति में बड़ी बंदूके चलाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कम जगह होने से छोटा हथियार काम आता है। अस्मि इस मामले बिल्कुल सटीक हथियार की तरह काम करती है। इस बारे में भारतीय सेना ने एक्स पर लिखा है कि देश में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी पहल की गई है।
Rajneesh kumar tiwari