नई दिल्ली। पृथ्वी से 48 प्रकाशवर्ष दूर ऐसा रहस्यमयी ग्रह मिला है, जो दूसरी धरती बन रहा है। यह ग्रह लगातार पानी वाले ग्रह में बदल रहा है। साथ ही लगातार सिकुड़ रहा है यानी पृथ्वी की तरह ही खुद को मजबूत और स्थाई बना रहा है। नासा के अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने धरती के अलावा रहने लायक नए एक्सोप्लैनेट की अहम खोज की है। ये पृथ्वी की तरह ही दिखनें वाला एक ग्रह है। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, शोध करने पर पता चला है कि एक्सोप्लैनेट एलएचएस 1140 बी एक सुपर-धरती हो सकता है। इस दौरान वैज्ञानिकों का मानना है कि इस एक्सोप्लैनेट पर पानी से भरा समुद्र होने की भी संभावना है। बताया जा रहा है कि एक्सोप्लैनेट एलएचएस 1140 बी पृथ्वी से करीब 48 प्रकाश साल की दूरी पर स्थित है। नई जांच में मीथेन और कार्बन डाइआॅक्साइड समेत कार्बन के प्रभाव वाले अणुओं की उपस्थिति का भी पता चला है। नासा ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि इस रहने योग्य क्षेत्र वाले एक्सोप्लैनेट के वायुमंडलीय गुणों के बारे में पहली जानकारी नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप से मिली है। नासा की मानें तो इस खोज ने सिस्टम के बारे में उनकी समझ को ही बदलकर रख दिया है। यूनिवर्सिटी डी मॉन्ट्रियल की ओर से किए गए रिसर्च से पता चला है कि एलएचएस 1140 बी को शुरूआत में एक छोटा-नेपच्यून माना जा रहा था। जिसमें एक मोटा हाइड्रोजन युक्त वायुमंडल था। अब जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के नए डेटा से पता चलता है कि यह पृथ्वी से बड़ा एक चट्टानों से बना हुआ ग्रह है। वहीं यूनिवर्सिटी डी मॉन्ट्रियल के लेखक चार्ल्स कैडियक्स की रिसर्च से पता चला है कि 1140 बी पर धरती जैसा ही ग्रह है। इस पर पानी की अप्रत्यक्ष रूप से पुष्टि हुई है। चार्ल्स कैडियक्स ने आगे कहा कि ये ग्रह अपने रहने योग्य इलाकें में एक लाल तारे का चक्कर लगाता है। उन्होंने कहा कि यहां का तापमान सतह पर तरल पानी होने की संभावना को बढ़ा रहा है। यानी यह पानी होने के अनुकूल है। जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन के डेटा से पता चलता है कि 1140 बी में पृथ्वी के बराबर नाइट्रोजन युक्त वातावरण होने की संभावना है। वहीं वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि इस ग्रह के द्रव्यमान में 10 से 20 प्रतिशत पानी से बना हो सकता है। फिलहाल इसके के मॉडल से जो संकेत मिले हैं कि उसके अनुसार, ये एक तरह का स्नोबॉल ग्रह हो सकता है। इसके अलावा इसके केंद्र में सतह का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस हो सकता है। बता दें कि यह स्थिति मानव जीवन के लिए सबसे उपयुक्त है। इतने तापमान में मानव सभ्यता का विकास आसानी से हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि नाइट्रोजन युक्त वायुमंडल की मौजूदगी की पुष्टि के लिए एक्सट्रा जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन से ज्यादा खोज की जरूरत है।
Rajneesh kumar tiwari