जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 12 मिलियन प्रकाश-वर्ष दूर वैज्ञानिकों ने एक भूखा राक्षस देखा है। सुपरमैसिव ब्लैक होल बड़ी तेजी से अंतरिक्ष में अपनी आस-पास की वस्तुओं को निगल रहा है। जब वह डकार लेता है तो भोजन के टुकड़े आस-पास के अंतरिक्ष में फैल रहे हैं। ऐसे में इसकी डकार ने अंतरिक्ष में हड़कंप मचा दिया है। वैज्ञानिकों ने 12 मिलियन प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक स्पाइरल गैलेक्सी एनजीसी 4945 के केंद्र में बड़ी खोज की है। वैज्ञानिकों ने देखा कि विशालकाय ब्लैक होल तबाही मचा रहा है। इस दृश्य को कैमरे में कैद किया गया है। यह ब्लैक होल इतना भूखा है कि अपने आसपास के तारों, गैस और धूल को निगलता जा रहा है। साथ-साथ शक्तिशाली जेट्स के रूप में अंतरिक्ष में अपना भोजन भी उगल रहा है। यह दृश्य यूरोपियन साउदर्न आॅब्जर्वेटरी यानी ईएसओ के वेरी लार्ज टेलीस्कोप वीएलटी ने चिली के अटाकामा डेजर्ट से कैप्चर किया है। एनजीसी 4945 के केंद्र में मौजूद यह सुपरमैसिव ब्लैक जो चीजें उगल रहा है वह भी खतरनाक है। यह प्रकाश की गति के करीब की रफ्तार से गैलेक्टिक विंड्स यानी हवाएं बाहर फेंक रहा है। ये हवाएं इतनी तेज हैं कि गैलेक्सी से गैस और धूल अंतरिक्ष में बाहर बिखर रही है। जिससे नए तारे बनने की प्रक्रिया रुक सकती है। बता दें कि आमतौर पर ब्लैक होल्स को सब कुछ निगल जाने वाले राक्षस के रूप में जाना जाता है। यह पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने गैलेक्टिक हवाओं को इतने डिटेल में देखा है। इन हवाओं की स्पीड गैलेक्सी के बाहर की ओर बढ़ने पर बढ़ती जा रही है। जो एक असामान्य घटना है। इससे पता चलता है कि ब्लैक होल्स न सिर्फ अपनी गैलेक्सी को प्रभावित करते हैं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड के विकास में भूमिका निभाते हैं। ईएसओ के म्यूज इंस्ट्रूमेंट ने इस गैलेक्सी की 3 डी इमेज बनाई है। जिससे पता चला कि ब्लैक होल से निकलने वाली गैस कैसे फैल रही है। इस रिसर्च को नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। हमारी गैलेक्सी का केंद्रीय ब्लैक होल शांत है। वह इतनी तेज हवाएं नहीं छोड़ता है। वहीं एनजीसी 4945 जैसी घटनाएं हमें बताती हैं कि कुछ ब्लैक होल्स कितने विनाशकारी हो सकते हैं। बता दें कि ब्लैक होल को कृष्ण विवर भी कहा जाता है। अंतरिक्ष में ब्लैक होल एक शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र वाला स्थान है, जहां भौतिक विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता। यह इतना शक्तिशाली है कि इससे कोई भी चीज नहीं बच सकती है। यहां तक कि प्रकाश भी अगर ब्लैक होल के अंदर चला जाए, तो वो फिर कभी बाहर नहीं आ पाता। सबसे बड़ी बात यह है कि ब्रह्मांड में कई ब्लैक होल हैं, लेकिन सभी पृथ्वी से हजारों प्रकाश वर्ष दूर हैं। अगर यह ब्लैक होल धरती के नजदीक होते, तो कब का निगल गए होते। पृथ्वी पर इंसानों का नामोनिशान नहीं बचता। वैज्ञानिक तौर पर माना जाता है कि कोई विशाल तारा जब अपने अंत की ओर पहुंचता है, तो वो धीर-धीरे ब्लैक होल में परिवर्तित हो जाता है। यह आसपास की सभी चीजों को अपनी तरफ खींचने लगता है। ब्लैक होल को लेकर यह भी सवाल है कि आखिर क्या अंतरिक्ष में छोटे आकार के कई ब्लैक होल मौजूद हैं? स्पेस थ्योरी के अनुसार बिग बैंग के दौरान अंतरिक्ष में छोटे-छोटे पिनहेड के आकार के कई ब्लैक होल बने थे। माइक्रो ब्लैक होल का अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिल पाया है। अंतरिक्ष में उन्हें पहचानना भी बेहद कठिन है। वहीं सुपरमैसिव ब्लैक होल ब्रह्मांड की सबसे रहस्यमयी वस्तुओं में से एक है। यह इतने विशालकाय होते हैं कि उनका गुरुत्वाकर्षण प्रकाश को जकड़ लेता है। ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि कोई भी वस्तु उससे बच नहीं सकती है। विशालकाय ब्लैक होल को सुपरमैसिव ब्लैक होल के नाम से जाना जाता है। इसका द्रव्यमान लाखों से अरबों सूर्य के बराबर हो सकता है। कहा जाता है कि ब्लैक होल मरते हुए तारों से जन्म लेते हैं। खगोलविदों ने यह जानने के लिए 13.8 अरब साल पुराने ब्रह्मांड के इतिहास से लेकर वर्तमान तक को खंगाला। उन्हें पता चला कि शुरूआती दिनों में ब्लैक होल तेजी से बन रहे थे, लेकिन अब उनकी क्षमता कमजोर हुई है और धीरे-धीरे विकसित होते हैं।
Rajneesh kumar tiwari