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- वैज्ञानिकों ने की बेहद डरावनी खोज
September 21, 2024
जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। हमारी आकाशगंगा में ब्लैक होल्स का झुंड घूम रहा है। इनकी संख्या एक दो नहीं 100 से भी ज्यादा हैं। वैज्ञानिकों की यह नई खोज बेहद डरावनी है। ये ब्लैक होल किसी भी सम तारों को निगल सकते हैं। वैज्ञानिकों ने यह खोज हमारे मिल्की वे यानी आकाशंगा में की है। आसमान में मौजूद तारों का एक समूह अपने भीतर गहरा राज समेटे हुए हो सकता है। नई खोज इस ओर इशारा करती है कि हमारी आकाशगंगा के एक स्टार क्लस्टर में तारकीय द्रव्यमान वाले 100 से अधिक ब्लैक होल्स का झुंड वित्रमान है। पॉलोमार-5 नामक यह स्टार क्लस्टर करीब 30,000 प्रकाश वर्ष में फैला है। पृथ्वी से यह क्लस्टर 80,000 प्रकाश वर्ष दूर है। बता दें कि वैज्ञानिक ऐसे गोलाकार क्लस्टर्स को प्रारंभिक ब्रह्मांड के जीवाश्म मानते हैं। ये बहुत घने और गोलाकार होते हैं। जिनमें लगभग 100,000 से 1 मिलियन बहुत पुराने तारे होते हैं। इनमें से कुछ तारे जैसे एनजीसी 6397 यानी लगभग ब्रह्मांड जितने पुराने हैं। किसी भी गोलाकार क्लस्टर में, उसके सभी तारे एक ही समय में, एक ही गैस के बादल से बने हैं। वैज्ञानिक मिल्की वे आकाशंगा में ऐसे लगभग 150 क्लस्टर्स के बारे में खोज कर चुके हैं। बता दें कि तारों की नदियां अंतरिक्ष में बहती हैं। इन तारा समूहों के बारे में एस्ट्रोनामर्स यानी खगोल विज्ञानियों की दिलचस्पी बढ़ी है। इनमें ज्वारीय धाराएं, यानी आसमान में फैली तारों की लंबी नदियां हैं। अब तक इनकी पहचान मुश्किल थी। वैज्ञानिक स्पेस आब्जर्वेटरी की मदद से मिल्की वे का थ्री-डाइमेंशन में बेहद सटीक मैप तैयार कर रहे हैं। इससे ऐसी कई धाराओं का पता चला है। तारों की इन नदियों का पहली बार पता 2021 में लगा था। तब यूनिवर्सिटी और बार्सिलोना में एस्ट्रोफिजिसिस्ट मार्क जाइल्स ने कहा था कि हमें नहीं मालूम कि ये धाराएं कैसे बनती हैं। अब वे कहते हैं कि हाल ही में खोजी गई धाराओं के बारे में अब अनिश्चितता समाप्त होने लगी है। नई खोज बताती है कि ये धाराएं कैसे बनीं। पालीमर 5 इसलिए अनूठा है क्योंकि इसमें तारों का बहुत विस्तृत, बिखरा हुआ वितरण है। इसमें एक लंबी ज्वारीय धारा है, जो आकाश के 20 डिग्री से अधिक क्षेत्र में फैली हुई है। जाइल्स और उनकी टीम ने क्लस्टर में मौजूद हर तारे की कक्षाओं और विकास के सिमुलेशंस रीक्रिएट किए ताकि यह पता चल सके कि वे आज किसी स्थिति में हैं। रिसर्च के नतीजों से पता चला कि पालीमर-5 के भीतर ब्लैक होल्स की संख्या, क्लस्टर में तारों की संख्या से लगभग तीन गुना अधिक है। इसका मतलब है कि क्लस्टर के कुल द्रव्यमान का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ब्लैक होल्स से बना है। जाइल्स के मुताबिक उनमें से हर एक ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 20 गुना है। वे विशाल तारों के जीवन के अंतिम समय में सुपरनोवा विस्फोटों के फलस्वरूप बने थे। जब यह क्लस्टर बहुत युवा था। टीम के सिमुलेशंस ने दिखाया कि लगभग एक अरब साल में यह क्लस्टर पूरी तरह से गायब हो जाएगा। ऐसा होने से ठीक पहले, क्लस्टर में जो कुछ भी बचा होगा, वह पूरी तरह से ब्लैक होल से बना होगा। जो आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा करेगा। इससे पता चलता है कि पालोमर-5 अनूठा है। जाइल्स और उनकी टीम की रिसर्च नेचर एस्ट्रोनामी में छपी है।
Rajneesh kumar tiwari