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- खगोलविदों ने की ब्लैक होल की खोज, सुलझा 20 साल का रहस्य
July 29, 2024
नई दिल्ली। खगोलविदों ने आकाशगंगा के बीच एक ब्लैक होल खोजने का दावा किया है। यह ब्लैक होल बेहद महत्वपूर्ण है और हमारी गैलेक्सी के केंद्र के बेहद करीब है। खगोलविदों की इस खोज से हमारी आकाशगंगा से जुड़े 20 साल पुराने एक बड़े रहस्य का खुलासा हो गया है। खगोलविदों ने एक दुर्लभ तरह के ब्लैक होल की खोज की है। इस ब्लैक होल को वैज्ञानिकों ने ‘इंटरमीडिएट-मास ब्लैक होल’ नाम दिया है। जो आईआरएस 13 नामक एक तारा समूह के भीतर मौजूद है। यह हमारी आकाशगंगा के केंद्र में स्थित सैगिटेरियस ए नामक सुपरमैसिव ब्लैक होल के बेहद करीब में स्थित है। आईआरएस 13 स्टार क्लस्टर से वैज्ञानिक कई वर्षों तक हैरान रहे। क्योंकि सैगिटेरियस ए के बेहद शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के करीब होने के बावजूद क्लस्टर के विशाल और गर्म तारे व्यवस्थित तरीके से घूम रहे हैं। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने क्लस्टर का बारीकी से अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने पाया कि तारे क्लस्टर में छिपे एक ब्लैक होल से प्रभावित हो रहे हैं। खगोलविदों के मुताबिक, जब लगभग 20 साल पहले क्लस्टर को पहली बार खोजा गया था तो ऐसा लगा था कि इसमें एक बहुत भारी तारा है। हालांकि, नई हाई-रिजॉल्यूशन डेटा से पता चला है कि क्लस्टर के केंद्र में वास्तव में एक इंटरमीडिएट मास वाला ब्लैक होल है। खगोलविदों के अनुसार, ब्लैक होल विशाल तारों के मरने से पैदा होते हैं और गैस, धूल, तारों और अन्य ब्लैक होल को खाकर बढ़ते हैं। वर्तमान में दो तरह के ब्लैक होल होने की जानकारी है। जिसमें पहला छोटे तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल, जो हमारे सूर्य के द्रव्यमान से कुछ गुना ज्यादा होते हैं। वहीं, दूसरा सुपरमैसिव ब्लैक होल, जो सूर्य के द्रव्यमान से लाखों या अरबों गुना ज्यादा हो सकते हैं। इंटरमीडिएट मास ब्लैक होल सूर्य के द्रव्यमान से 100 से एक लाख गुना ज्यादा विशाल होते हैं। खगोलविदों ने वेरी लार्ज टेलीस्कोप और चंद्रा एक्स-रे स्पेस टेलीस्कोप से आईआरएस 13 की संरचना का अवलोकन किया। फिर उन्हें स्टार क्लस्टर के गणितीय मॉडल में जोड़ा। उन्होंने पाया कि तारों की गति क्लस्टर के केंद्र में एक खाली जगह की ओर इशारा करती है। लेकिन जब उन्होंने इस जगह का अध्ययन किया तो उन्हें आयनित गैस की रिंग से निकलने वाली एक्स-रे का पता लगा। खगोलविदों को पता चला है कि यह ब्लैक होल सूर्य के द्रव्यमान से 30 हजार गुना अधिक है।
Arun kumar baranwal