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- इसरो के वैज्ञानिकों ने खोला चन्द्रमा राज, पता लगाया कहां है पानी
May 4, 2024
नई दिल्ली। इसरो के वैज्ञानिकों ने चन्द्रमा का ऐसा राज खोल दिया है जिसे आज तक कोई देश नहीं खोज पाया था। यह रहस्य चन्द्रमा पर पानी को लेकर है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा पर उम्मीद से काफी ज्यादा पानी मिला है। वैज्ञानिकों को पानी का खजाना चांद के दोनों ध्रुवों पर मिला है। चांद पर पानी है या नहीं, अगर है तो फिर किस रूप में और कितनी मात्रा में? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो सदियों से दुनिया के लिए रहस्य बने हुए हैं। अब जैसे-जैसे चांद की ओर इंसान के कदम बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे चंद्रमा के रहस्यों से पर्दा उठने लगा है।
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नए अध्ययन में खुलासा
चंद्रमा को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के वैज्ञानिकों ने बड़ी जानकारी दी है। नई स्टडी में पता चला है कि चंद्रमा के दोनों ध्रुवों के गड्ढों में बर्फ के रूप में पानी की अधिक मात्रा है। वैज्ञानिकों के अनुसार चद्रमा पर उम्मीद से ज्यादा बर्फ मौजूद है। ये सतह के नीचे दबी है। इसे खोदकर निकाला जा सकता है। इसका इस्तेमाल चांद पर कॉलोनी बनाने के लिए कर किया जा सकता है। इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, आईआईटी कानपुर, यूनिवर्सिटी आॅफ साउदर्न कैलिफोर्निया, जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी और आईआईटी-आईएसएम धनबाद के वैज्ञानिकों ने मिलकर यह स्टडी की है। इसरो के इस शोध से दुनिया की कई स्पेस एजेंसियों को फायदा होगा। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव पर दक्षिणी ध्रुव की तुलना में दोगुना ज्यादा बर्फ है। चंद्रमा के ध्रुवों पर ये बर्फ कहां से आई अब इसका भी जवाब मिल गया है। इसरो ने कहा कि यह इंब्रियन काल का मामला है। तब चंद्रमा बन रहा था। वॉल्कैनिज्म यानी ज्वालामुखीय गतिविधियों से निकली गैस लाखों सालों में धीरे-धीरे सतह के नीचे बर्फ के रूप में जमा होती चली गई। वैज्ञानिकों ने अमेरिकी लूनर रीकॉन्सेंस आॅर्बिटर, चंद्रयान-2 और चन्द्रयान-3 के आॅर्बिटर से मिले डेटा का एनालिसिस किया। एलआरओ के राडार, लेजर, आॅप्टिकल, न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर, अल्ट्रा-वॉयलेट स्पेक्ट्रोमीटर और थर्मल रेडियोमीटर से ये डेटा लिए गए हैं। इससे चंद्रमा पर बफीर्ले पानी की उत्पत्ति, फैलाव और विभाजन को समझा जा सका है।
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नई स्टडी से पुराने को मिला समर्थन
हैरानी इस बात की है कि इस नई स्टडी से पुरानी स्टडीज को समर्थन मिलता है। पिछली स्टडी भी इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर ने चंद्रयान-2 के ड्युल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर राडार और पोलैरीमेट्रिक राडार डेटा का इस्तेमाल किया गया था। पुराने अध्ययन में भी चांद के ध्रुवीय गड्ढों के अंदर बर्फ की मौजूदगी का पता चला था। इस स्टडी से पानी खोजने के लिए इसरो या अन्य स्पेस एजेंसिया ध्रुवों पर अपने मिशन और ड्रिलिंग मशीनें भेज सकती हैं। बता दें कि इससे पहले इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने आधिकारिक इंस्टाग्राम पेज के माध्यम से अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने वालों के साथ खास बातचीत की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निजी कंपनियां निश्चित रूप से क्षेत्र में अनुसंधान को गति देने में मदद करेंगी। निजी कंपनी स्पेसएक्स का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा था कि निजी कंपनियों को रॉकेट इंजन बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। अंतरिक्ष में असीम संभावनाएं हैं। गैलेक्सी में कई ऐसे रहस्य हैं जिन पर काम करके इस पहेली को सुलझाया जा सकता है।
Rajneesh kumar tiwari