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- डीआरडीओ ने विकसित की कम दूरी की मिसाइल
June 17, 2024
नई दिल्ली। डीआरडीओ ने कम दूरी वाली स्वदेशी मिसाइल तैयार करने में सफलता हासिल की है। यह अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बेहद मारक होगी। भारत को ऐसी मिसाइलों की सख्त जरुरत थी। इसी को देखते हुए डीआरडीओ ने यह मिसाइल तैयार की है। भारतीय सेना में कंधे पर रखकर दागी जाने वाली मिसाइलों की बड़े पैमाने पर आवश्यकता है। सेना की इस डिमांड को पूरा करने के लिए अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने नया प्लान तैयार किया है। डीआरडीओ ने कंधे से दागी जाने वाली और कम दूरी की मारक क्षमता वाली स्वदेशी मिसाइल को तैयार किया है। इस मिसाइल को भारतीय सेना को सौंपने से पहले डीआरडीओ कई चरणों में इसका परीक्षण करेगा। इस मिसाइल का परीक्षण उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो इन मिसाइलों को अपने बेड़े में शामिल करने से वायु सेना को भी मदद मिलेगी। सीमावर्ती क्षेत्रों में तेज गति से चलने वाले ड्रोन, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर जैसे हवाई लक्ष्यों से निपटने के लिए भारतीय वायु सेना को भी ऐसी मिसाइलों की बेहद आवश्यकता है। ऐसे में ही यह मिसाइल थल सेना और वायु सेना के बीच सेतु का काम करेगी। यानी दोनों सेनाएं एक साथ इस तकनीक को चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर दुश्मनों के दांत खट्टे कर देंगी। डीआरडीओ का प्लान है कि सफल परीक्षण के बाद इस मिसाइल सिस्टम को सेना को सौंप दिया जाएगा। परीक्षण और आकलन के बाद थल सेना और वायु सेना मिसाइल को अपने बेड़े में शामिल करेगी। डीआरडीओ का यह भी कहना है कि यह मिसाइल प्रणाली कम दूरी के साथ साथ लंबी दूरी के लक्ष्यों को भेदने में भी सक्षम है। अधिकारियों के अनुसार कम दूरी के लक्ष्य भेदने वाली मिसाइल को पहले ही तैयार कर लिया गया है। अब इसके सिस्टम का लगातार नवीनीकरण किया जा रहा है। बता दें कि पाकिस्तान और चीन से हवाई खतरों से निपटने के लिए भारतीय सेना अपने भंडार में विभिन्न तरह की बहुत कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइलों की कमी को पूरा करने का प्रयास कर रही है। इस काम के लिए 6,800 करोड़ के दो मामलों में प्रगति चल रही है। सेना की स्वदेशी माध्यम से 500 से अधिक लॉन्चर और लगभग 3000 मिसाइलें विकसित करने व खरीदने की योजना है। इसके साथ ही सेना पूर्व में रद्द एक टेंडर की संभावना पर भी विचार कर रही है जिसमें पुरानी इग्ला-1 एम मिसाइलों का रिप्लेसमेंट तलाशने में देरी के मद्देनजर रूसी इग्ला-एस का चयन किया गया था। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना में वर्तमान वीएसएचओआरएडी मिसाइलों, इंफ्रारेड होमिंग गाइडेंस सिस्टम वाली इग्ला-1एम को शामिल किया गया था।
Rajneesh kumar tiwari