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- डीआरडीओ ने सुपर किलर मिसाइल रूद्रम-2 का किया सफल परीक्षण
May 30, 2024
नई दिल्ली। डीआरडीओ ने देश की सुपर किलर मिसाइल रूद्रम-2 का सफल परीक्षण किया। इसे सुखोई-30 एमकेआईफाइटर जेट से लॉन्च किया गया। यह हवा से सतह पर मार करने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल है। इसकी तुलना रूस की केएच 31 पीडी मिसाइल से की जा रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। रक्षा संगठन ने ओडिशा के तट पर देश की सबसे शानदार मिसाइल का सफल फ्लाइट टेस्ट किया। रुद्रएम-2 मिसाइल को भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमके-क प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया गया। परीक्षण के दौरान मिसाइल के प्रोप्लशन सिस्टम, कंट्रोल एंड गाइडेंस सिस्टम को परखा गया। वहीं इलेक्ट्रो-आॅप्टिकल सिस्टम, राडार और टेलिमेट्री स्टेशंस की भी जांच की गई। इस दौरान फ्लाइट डेटा कई स्टेशनों पर तैनात राडार से मिलाया गया। बता दें कि यह ऐसी मिसाइल है, जो दुश्मन के किसी भी तरह के एसेट यानी हथियार, बंकर, जहाज, विमान और हथियार भंडार को पलभर में ध्वस्त कर सकती है। यह मिसाइल दुश्मन पर 6,791 किलोमीटर की स्पीड से हमला करती है। रुद्रम-2 की खासियतों के बारे में बात करें तो यह एक स्वदेशी रूप से विकसित ठोस ईंधन से चलने वाली मिसाइल प्रणाली है। यह हवा से मार कहीं भी मार कर सकती है। इससे कई प्रकार के हथियारों को नष्ट करने की क्षमता है। वहीं इस मिसाइल प्रणाली में कई अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा इस मिसाइल सिस्टम को समय की मांग के अनुसार अपडेट भी किया जा सकता है। यह हाइपरसोनिक और एंटी-रेडिएशन मिसाइल है। बता दें कि हाइपरसोनिक और एंटी-रेडिएशन वे मिसाइलें या ऐसी सैटेलाइटों हैं जिनकोदुश्मन का कोई राडार सिस्टम और एयर डिफेंस सिस्टम पकड़ न सके। इसके अलावा रेडियो फ्रिक्वेंसी यंत्र, या किसी भी तरह का संचार सिस्टम इसे कहीं से डिटेक्ट न कर पाए। यानी यह अदृश्य तरीके से दुश्मन पर हमला कर सकती है। इस मिसाइल की तुलना रूस की खतरनाक मिसाइल केएच 31 पीडी से की जा रही है। बता दें कि रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए इस मिसाइल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया था। रुद्रम-2 मिसाइल को डीआरडीओ ने डिजाइन किया है। इसे भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और अडाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने मिलकर बनाया है। इसकी लंबाई 18 फीट है। यह मिसाइल सिस्टम 155 किलोग्राम वजन का हथियार लेकर उड़ान भर सकता है। इसमें प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया गया है। रुद्रम-2 की रेंज 300 किलोमीटर है। यह अधिकतम 3 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है। सबसे खतरनाक इसकी गति है। यह ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा स्पीड से उड़ान भरती है। इसमें आईएनएस और सैटनैव गाइडेंस सिस्टम लगा है। साथ में पैसिव राडार होमिंग सिस्टम है। इसकी सटीकता 5 मीटर है, यानी टारगेट से पांच मीटर दूर भी गिरती है, तो भी वह पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रुद्रएम-2 के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ, वायु सेना और रक्षा उद्योग जगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि सफल परीक्षण ने सशस्त्र बलों के लिए शक्ति गुणक के रूप में रुद्रम प्रणाली की भूमिका को सशक्त बनाया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने भी सभी पक्षों को बधाई दी।
Rajneesh kumar tiwari