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- डीआरडीओ बना रहा खतरनाक मिसाइल, पल-भर में खाक होंगे चीन-पाकिस्तान
June 14, 2024
नई दिल्ली। कई तरह की मिसाइलों का निर्माण करने के बाद अब डीआडीओ ने भारत के लिए दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल बनाई है। यह एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। यह दुश्मन की तरफ 12,251 किलोमीटर की गति से हमला करती है। मिसाइलों की दुनिया में डीआरडीओ को जबर्दस्त सफलता मिली है। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन ने देश के लिए सबसे खतरनाक मिसाइल बना ली है। यह मिसाइल ऐसी है जैसी अमेरिका, रूस, चीन के पास है। इसकी स्पीड इतनी ज्यादा है कि इसे रोक पाना मुश्किल है। इससे पहले डीआरडीओ 2020 और 2023 में इसका परीक्षण कर चुका है। दोनों ही परीक्षण सफल रहे थे। इस हथियार के सेना में शामिल करते ही भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। बता दें कि पहले जो परीक्षण हुए थे, उनका नाम था हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर व्हीकल था। भारत पिछले कुछ सालों से हाइपरसोनिक हथियार पर काम कर रहा है। पिछली बार एचएसटीडीवी का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था। तब इसकी गति करीब 7500 किलोमटर प्रति घंटा थी। भविष्य में इस गति को घटा या बढ़ा सकते है। अगर इसमें पारंपरिक या परमाणु हथियार लगाकर दागते हैं, तो पाकिस्तान में हमला कुछ ही सेकेंड में हो जाएगा। यानी इस मिसाइल से कुछ ही सेकेंड में पाकिस्तान और चीन के कई महत्वपूर्ण जिले या सैन्य बेस ध्वस्त किए जा सकते हैं। नए जमाने के युद्ध के लिए खुद को तैयार करने के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलों की बेहद जरूरत है। अमेरिका-रूस और चीन पिछले कुछ सालों से लगातार हाइपरसोनिक मिसाइल पर काम कर रहे हैं। वहीं रूस इस मामले में सभी देशों से आगे निकल चुका है। रूस के पास कई हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं। माना जा रहा है कि चीन के पास भी ऐसे हथियार हैं। बता दें कि उन मिसाइलों को हाइपरसोनिक हथियार कहा जाता है जो साउंड की गति से पांच गुना ज्यादा स्पीड में चलती है। 6100 किलोमीटर की गति से वार करने वाले हथिायर इस श्रेणी में आते हैं। इनकी गति इतनी तेज होती है कि इन्हें ट्रैक कर मार गिराना आसान नहीं होता। अगर मिसाइल खुद से दिशा बदलने में सक्षम है तो डिफेंस सिस्टम भी इसे पकड़ने में फेल हो जाता है। बता दें कि रूस ने यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला किया था। जिसे अमेरिकी डिफेंस सिस्टम ट्रैक नहीं कर सका। इस मिसाइल ने बिल्कुल सटीक जगह पर हमला किया था। यह बात अलग है कि यूक्रेन के साथ युद्ध में रूस ने सीमित मात्रा में इन मिसाइलों का प्रयोग किया है। दूसरी ओर हाइपरसोनिक हथियारों का जखीरा बढ़ने पर रक्षा विशेषज्ञों ने अपनी चिंता जाहिर की है। उनके अनुसार अगर भविष्य में हाइपरसोनिक हथियारों का जखीरा बढ़ेगा और ये ज्यादा घातक हो जाएंगे। अमेरिका तो ऐसे हथियार बना रहा है जो बैलिस्टिक मिसाइल की तरह लॉन्च होगा। वहीं टारगेट को ध्वस्त करने से पहले उसकी गति आवाज की गति से आठ गुना ज्यादा होगी। बता दें कि हाइपरसोनिक हथियार दो प्रकार के होते हैं। इनका पहला रूप ग्लाइड व्हीकल्स का होता है। वहीं इसका दूसरा वर्जन क्रूज मिसाइल है। फिलहाल दुनिया के ज्यादातर देश और भारत भी हाइपरसोनिक ग्लाइड पर ध्यान दे रहा है। इन ग्लाइड व्हीकल्स के पीछे से मिसाइल लगाई जाती है। एक तय दूरी तक करने के बाद मिसाइल इससे अलग हो जाती है। इन हथियारों में स्क्रैमजेट इंजन होता है। यह हवा मे मौजूद आॅक्सीजन का इस्तेमाल करके तेजी से उड़ता है। भारतीय हथियार का नाम ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल है। जिसमें ये सभी खासियतें हैं। इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान और जमीन पर लगाए गए लांचपैड से दागा जा सकता है।
Rajneesh kumar tiwari