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- चन्द्रयान के बाद मंगलयान की तैयारी, मंगल ग्रह के खुलेंगे कई राज
June 10, 2024
नई दिल्ली। चन्द्रमा के बाद अब मंगल ग्रह पर भी जल्द भारत का हेलीकॉप्टर उतरेगा। इससे लाल ग्रह के ऐसे रहस्य दुनिया के सामने आएंगे जिससे हर कोई आज तक अनजान था। भारत ने इस मिशन को मंगलयान-2 नाम दिया है। इसकी कामयाबी के बाद चीन को पछाड़ते हुए भारत दुनिया का दूसरा देश बन जाएगा जिसका हेलीकॉप्टर मंगलग्रह पर उतरा है। भारतीय स्पेस एजेंसी यानी इसरो ने चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब मंगल ग्रह पर जाने की तैयारी तेज कर दी है। बता दें कि इसरो पहले भी सफलता पूर्वक मिशन मंगलयान को पूरा कर चुका है। भारत ने अपने पहले मिशन के तहत मंगल ग्रह की आॅर्बिट की स्टडी की थी। वहीं इस बार का मिशन पहले की अपेक्षा अलग और खास तकनीक से लैस होगा। इस मिशन के लक्ष्य लाल ग्रह के उन रहस्यों को दुनिया के सामने लाना है जिसे आज तक कोई जान नहीं पाया है। इसरो इस मिशन का तहत मंगल की सतह पर एक रोवर और एक हेलीकॉप्टर उतारेगा। इस मिशन के मॉडल को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के मौके पर स्पेस ऐप्लीकेशन सेंटर पर दिखाया गया। अगर यह मिशन सफल रहा तो भारत अमेरिका और चीन के बाद मंगल पर यान उतारने वाला तीसरा देश बन जाएगा। इसरो के प्लान के अनुसार मंगलयान-2 मिशन के तहत इसरो का रोवर एक नए तरीके से सतह पर लैंड करेगा। एयरबैग और रैंप जैसे पुराने तरीकों की बजाय इसरो एक खास आकाश क्रेन की मदद से रोवर को धीरे से मंगल की सतर पर उतारा जाएगा। ये एडवांस आकाश क्रेन टेक्नलॉजी ये सुनिश्चित करेगी कि सतह कितनी ही ऊबड़-खाबड़ क्यों न हो रोवर सुरक्षित और सही जगह पर उतरे। वहीं यह तकनीक आने वाले बीस सालों में मंगल ग्रह पर मानव को उतारने के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है। इसरो ने इस मिशन के लिए सुपरसोनिक पैराशूट भी बनाया जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल का वातावरण पृथ्वी के वातावरण के मुकाबले 1 प्रतिशत ज्यादा घना है, इसलिए वहां पर सामान्य पैराशूट काम नहीं करते। यह सुपरसोनिक पैराशूट बहुत तेज गति पर खुल जाएगा, जिससे रोवर तेजी से नीचे आने की रफ्तार को कम कर सकेगा। इससे जमीन से टकराने पर पैदा होने वाला घर्षण भी कम होगा। साथ ही रोवर सुरक्षित तरीके से लैंड होने में कामयाब हो जाएगा। बता दें कि 2021 में अमेरिका ने भी अपने रोवर को मंगल पर उतारने के लिए भी इसी तरह के पैराशूट का इस्तेमाल किया गया था। मिशन मंगलयान का सबसे खास हिस्सा इसरो का हेलीकॉप्टर होगा। हेलीकॉप्टर को मंगल ग्रह जैसे वातावरण में उड़ान भरने के लिए ही तैयार किया जा रहा है। इसके भीतर मार्शियन बाउंड्री लेयर एक्सप्लोरर नाम की खास मशीन रखी जाएगी। यह मशीन लाल ग्रह पर 100 मीटर की उड़ान भरकर मंगल के वातावरण का अध्ययन करेगी। अगर यह सफल होता है, तो अमेरिका के इनजीनुअटी हेलीकॉप्टर के बाद मंगल ग्रह पर हेलीकॉप्टर उड़ाने वाला भारत दूसरा देश बन जाएगा। भारत इस रेस में चीन को पीछे छोड़ देगा। इसरो अपने इस मिशन से पहले कम्युनिकेशन सैटेलाइट भेजेगा। इससे
रोवर और हेलीकॉप्टर के साथ लगातार संपर्क साधा जाएगा। इस सैटेलाइट के जरिए डेटा का निरंतर प्रवाह और मिशन कंट्रोल सुनिश्चित होगा। वहीं मंगलयान-2 के लिए अब तक के सबसे शक्तिशाली रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 का उपयोग किया जाएगा। बता दें कि स्पेस से जुड़े वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में मंगल ग्रह इंसानों का अगला घर हो सकता है। वहां का वातावरण काफी हद तक इंसानों के रहने लायक है। यही वजह है कि दुनियाभर की स्पेस एजेंसी मंगल ग्रह पर फोकस कर रही हैं। मंगल ग्रह अपने आप में बेहद खास ग्रह है। यहां गर्मियों के मौसम में तापमान 20 डिग्री तक रहता है। वहीं सर्दियों में ये तापमान माइनस 73 डिग्री तक पहुंच जाता है। अब तक तमाम स्पेस एजेंसियों ने 50 से अधिक मिशन मंगल पर भेजे हैं। जिनमें से आधे से कम ही सफल हुए हैं।
Rajneesh kumar tiwari