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- अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसरो ने एक बार फिर पूरी दुनिया में मनवाया अपना लोहा
June 24, 2024
नई दिल्ली। अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसरो ने एक बार फिर पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाया। इसरो ने कीर्तिमान बनाते हुए दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाले विमान का तीसरा और अंतिम परीक्षण किया। इस बार परीक्षण बेहद चुनौतीपूर्ण था। इसके बावजूद विमान प्रक्षेपण यान सभी मानकों पर खरा उतरा। इसरो ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल का तीसरा और अंतिम परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग में किया। यह टेस्ट एयरोनॉटिकल रेंज में किया गया। तीसरे परीक्षण में प्रक्षेपण यान को ज्यादा ऊंचाई से छोड़ा गया। इस दौरान तेज हवाएं भी चल रहीं थी। इसके बावजूद प्रक्षेपण यान पुष्पक ने पूरी सटीकता के साथ रनवे पर सुरक्षित लैंडिंग की। इस परीक्षण में इसरो ने लैंडिंग इंटरफेस और तेज गति में विमान की लैंडिंग की स्थितियों की भी जांच की। इस परीक्षण से भारत चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है जिनके पास यह तकनीक है। परीक्षण के दौरान वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से प्रक्षेपण यान पुष्पक को साढ़े चार किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा गया। इसके बाद प्रक्षेपण यान पुष्पक ने स्वायत तरीके से रनवे पर सफल लैंडिंग की। लैंडिंग के दौरान यान की गति करीब 320 किलोमीटर प्रतिघंटे थी। बता दें कि एक कमर्शियल विमान की लैंडिंग के वक्त स्पीड 260 किलोमीटर प्रतिघंटे और एक लड़ाकू विमान की गति करीब 280 किलोमीटर प्रतिघंटे होती है। लैंडिंग के वक्त पहले ब्रेक पैराशूट की मदद से प्रक्षेपण यान की गति को घटाकर 100 किलोमीटर प्रतिघंटे पर लाया गया। इसके बाद लैंडिंग गीयर ब्रेक की मदद से रनवे पर विमान को रोका गया। परीक्षण के दौरान यान के रूडर और नोज व्हील स्टीयरिंग सिस्टम की कार्यक्षमता की भी जांच की गई। भविष्य में प्रक्षेपण यान को अंतरिक्ष में भेजने और उसे वापस सुरक्षित धरती पर उतारकर फिर से अंतरिक्ष में भेजने के लिहाज से यह तकनीक बेहद अहम है। इस तकनीक की मदद से इसरो की लागत में काफी कमी आएगी। बता दें कि किसी भी अंतरिक्ष मिशन में प्रक्षेपण यान की लागत काफी ज्यादा होती है। मौजूदा समय में एक बार इस्तेमाल होने के बाद यान को दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इस रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक की मदद से अंतरिक्ष में बढ़ रहे कचरे की समस्या से भी निपटा जा सकेगा। पुष्पक इस समय भले ही छोटा लग रहा हो लेकिन ये छोटा आकार टेस्टिंग के लिये है। आगे चलकर ये सैटेलाइट के अलावा अंतरिक्ष यात्रियों को भी ले जा सकेगा। इतना ही नहीं इसकी मदद से पृथ्वी की कक्षा में खराब हुए सैटेलाइट को रिपेयर भी किया जा सकेगा। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल के लैंडिंग परीक्षण के दौरान यान में मल्टी-सेंसर फ्यूजन का उपयोग किया गया है। इस यान को इनर्शियल सेंसर, रडार अल्टीमीटर, फ्लश एयर डेटा सिस्टम से लैस किया गया है। वहंी स्यूडोलाइट सिस्टम और एनएवीआईसी जैसे सेंसर भी इसमें लगाए गए हैं। पुष्पक की लैंडिंग से भारत ने कई रिकॉर्ड भी स्थापित किए हैं। बता दें पुष्पक किसी रॉकेट की तरह अंतरिक्ष में जाएगा और वापसी में किसी विमान की तरह रनवे पर लैंड करेगा। यानी दूसरे रॉकेट जो सिर्फ एक बार इस्तेमाल होते हैं, उनके मुकाबले पुष्पक को बार-बार इस्तेमाल किया जा सकेगा। वहीं आज पुष्पक की हैट्रिक देखकर पड़ोसियों की जलन जरूर बढ़ गई होगी।
Rajneesh kumar tiwari