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- अमेरिका से भारत को मिलेगा दुश्मनों का काल, जेवलिन मिसाइलों से ढेर होंगे दुश्मन
June 25, 2024
नई दिल्ली। रूस और फ्रांस के बाद अब भारत को अमेरिका से दुश्मनों का काल मिलने वाला है। भारत को अमेरिका की प्रसिद्ध जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइलें मिलने वाली है। वहीं इसका उत्पादन भी भारत में किया जाएगा। ऐसे में यहां जानना दिलचस्प हो जाता है कि आखिर इन जेवलिन मिसाइलों की क्या ताकत है। दुनियाभर ही हर सेना इससे क्यों खौफ खाती है। भारतीय सेना कंधे पर रखकर दागी जाने वाली एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की कमी को पूरा करने के प्रयासों में लगी है। स्वदेशी मिसाइल बना लेने के बाद भी इस कमी को पूरा करने में सफलता नहीं मिल पाई है। अब भारत के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अमेरिका ने अपनी प्रसिद्ध जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइलों को भारत में बनाने की पेशकश की है। सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए दोनों देश साथ मिलकर इस अत्याधुनिक मिसाइल पर काम करेंगे। दोनों देश भारत में ही इसका उत्पादन करने पर विचार कर रहे हैं। शीर्ष रक्षा सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच हाल ही में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी। अमेरिका की पेशकश के मुताबिक वह किसी भारतीय पार्टनर के साथ भारत में मिसाइलों और उसके लॉन्चरों के को-प्रोडक्शन के लिए तैयार है। जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल के भारत में उत्पादन को लेकर अमेरिका और भारत के बीच डील फाइनल होने के बाद ही जॉइंट वेंचर के पार्टनर को लेकर निर्णय होगा। बता दें कि चीन के साथ सीमा पर संघर्ष बढ़ने के दौरान भारत ने आपातकालीन स्थिति में इजरायल से स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की खरीद की थी। स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल डेवलप करने की प्रक्रिया भी चल रही है। डीआरडीओ अपने इंडस्ट्रियल पार्टनर्स के साथ मिलकर इस पर काम कर रहा है। उनके द्वारा हाल ही में सफलतापूर्वक परीक्षण भी किये गये हैं। भारतीय सेना भारी मात्रा में कंधे से फायर करने वाली एटीजीएम यानी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल चाहती है। जिससे पहाड़ी इलाकों में सैनिक इसे आसानी से ले जा सकें। वहीं अब अगर जेवलिन एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के सह-उत्पादन को लेकर चल रही चर्चा सफल रहती है तो यह दोनों देशों की रक्षा साझेदारी में एक बड़ी उपलब्धि होगी। जेवलिन मिसाइलों की विशेषताओं के बारे में बात करें तो यह किसी भी बख्तरबंद वाहन को नष्ट कर सकती है। जेवलिन मिसाइल अपने टारगेट पर अचूक निशाना साधने के लिए इंफ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल करती है। इसकी लंबाई 108.1 सेमी होती है। मिसाइल लॉन्चर का वजन मिसाइल सहित 22.3 किग्रा होता है। यह डे/नाइट विजन साइट से लैस होता है। जेवलिन मिसाइल का 2500 मीटर तक सटीक निशाना साध सकती है। इस मिसाइल को टैंकों के खिलाफ सबसे अधिक प्रभावी माना जाता है। इसका इस्तेमाल छोटे भवनों और बंकरों को नष्ट करने के लिए भी किया जाता है। साथ ही 2500 मीटर के ऊंचाई पर उड़ रहे दुश्मन के जहाजों को पलभर में खाक बना सकती है। जेवलिन मिसाइल को फायर एंड फॉरगेट हथियार के नाम से भी जाना जाता है। इसे फायर करने से पहले टारगेट को लॉक कर दिया जाता है। ट्रिगर दबाने के बाद मिसाइल सेल्फ-गाइडेड मोड में पहले से सेट टारगेट को पलक झपकते ही तबाह कर देती है। अमेरिकी सेना 1996 से ही जेवलिन मिसाइल का इस्तेमाल कर रही है। साइज में छोटा और कम वजनी होने के कारण इसे कंधे पर रखकर दागा जा सकता है। कठिन भौगोलिक परिस्थियों में भी जेवलिन मिसाइल आसानी से इस्तेमाल की जा सकती है।
Rajneesh kumar tiwari