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- अमेरिका-फ्रांस से आगे निकला भारत भारत ने किया स्यूडो सैटेलाइट का परीक्षण
May 14, 2024
नई दिल्ली। अमेरिका और फ्रांस से आगे निकलते हुए भारत ने पहली स्यूडो सैटेलाइट का परीक्षण कर दिया है। रक्षा क्षेत्र में यह उपलब्धि मील का पत्थर बताई जा रही है। इससे 65 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन देशों के 200 किलोमीटर दूर ठिकानों पर नजर रखी जा सकेगी। यह बात सभी जानते हैं कि आने वाले समय में ड्रोन यानी तकनीक के जरिये युद्ध लड़ा जाएगा। यह मानव रहित आभासी लड़ाई होगी। ऐसे में भारत की स्यूडो सैटेलाइट बेहद अहम होगी। इस सेटेलाइट को हिंदुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड यानी एचएएल ने विकसित किया है। इस पर पिछले तीन साल से काम चल रहा था। इस सैटेलाइट के जरिए 65 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन के 200 किलोमीटर दूर ठिकानों पर नजर रखी जा सकेगी। इसे दुश्मन देशों का स्कैनर भी कहा जा रहा है क्योंकि इसकी नजरों से मिसाइल से लेकर कोई भी हथियार नहीं बच सकता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह सिर्फ रक्षा के लिए ही नहीं बल्कि जियोलॉजिकल सर्विस, डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए भी इस्तेमाल हो सकेगा।
रक्षा क्षेत्र में भारत के लिए खास उपलब्धि
भारत के पहले हाई एल्टीट्यूड स्यूडो सैटेलाइट यानी एचएपी ने पेलोड के साथ पहले परीक्षण में समुद्र तल से 25 हजार फीट ऊंचाई को छुआ। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की जानकारी भारतीय वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और नेशनल एरोस्पेस लिमिटेड ने साझा की। भारत ने इस साल की शुरूआत में ही स्यूडो सैटेलाइट यानी छद्म सैटेलाइट का प्रोटोटाइप बनाया था। चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच भारत की इस उपलब्धि को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अपनी पहली टेस्टिंग के दौरान एचएपी ने लगातार 21 घंटों तक उड़ान भरी। यह सौर ऊर्जा से चलता है। एचएपी की खासियत है कि इससे 15 सेमी तक का रेजोल्यूशन हासिल कर सकते हैं। यह भारत के ड्रोन विंगमैन कार्यक्रम का एक हिस्सा है।
स्यूडो सैटेलाइट होगी बेहद अहम
अमेरिकी ड्रोन रीपर के मुकाबले भारत की स्यूडो सैटेलाइट कम कीमत में निगरानी करने में सक्षम है। स्यूडो सैटेलाइट 65,000 फीट की ऊंचाई पर पृथ्वी के समताप मंडल यानी स्ट्रेटोस्फियर 20 किमी से ऊपर की ऊंचाई में उड़ता है। सौर ऊर्जा से चलने की वजह से यह महीनों तक बिना किसी रूकावट के काम कर सकता है। आंकड़ों के मुताबिक यूएसएएफ रीपर ड्रोन को संचालित करने में लगभग 3500 डॉलर प्रति घंटे का खर्च आता है। जब भारत के स्यूडो की लागत 500 डॉलर प्रति घंटे से भी कम है। स्यूडो सैटेलाइट दिन में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करता है और रात में सौर-चार्ज बैटरी का उपयोग करता है।
500 डॉलर प्रति घंटे से भी कम लागत
रक्षा सूत्रों के मुताबिक एचएपी सैटेलाइट को रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है। ये कम वजन वाले प्लेटफॉर्म पर बने होते हैं। साथ ही इनमें संचार करने की सुविधा भी होती है। ये 35 किग्रा तक का वजन ढो सकते हैं। जिनमें सेंसर और नेविगेशन इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं। बता दें कि इस परियोजना पर केंद्र सरकार के 1,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें 70 फीसदी फाइनेंस सरकार करेगी। इस उपलब्धि से भारत की सर्विलांस ताकत में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। एचएपी सैटेलाइट हिमालयी इलाके में चीन के साथ चल रहे गतिरोध में भी काफी उपयोगी साबित होगा। अभी तक इस इलाके की स्कैनिंग ड्रोन, हेप्टर से की जाती थी। कई इलाकों में ड्रोन के पेलोड काम नहीं कर पाते हैं, उन इलाकों के लिए यह सैटेलाइट एक वरदान की तरह साबित होगा। एचपी सैटेलाइट टेक्नोलॉजी को दूसरे देश भी डेवलप करने की कोशिशों में लगे हैं। कई देशों और कंपनियों ने ऐसे सैटेलाइट उड़ाए हैं, लेकिन अभी तक किसी ने भी इस तकनीक में महारत हासिल नहीं की है। इस श्रेणी में अमेरिका के एयरबस जेफिर ने अगस्त 2022 में 64 दिनों तक लगातार उड़ान भरी थी। बाद में वह हादसे का शिकार हो गया था।
Rajneesh kumar tiwari