कोरोना महामारी के बाद जैसे—जैसे लोगों की जिंदगी सामान्य हुई है रियल्टी सेक्टर में लगातार बढ़ते निवेश से रौनक लौटी है। यह बात सितंबर के तीसरे सप्ताह में आई एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट से भी स्पष्ट होती है। इस रिसर्च में बताया गया है कि पिछले दो सालों के दौरान रीटेल क्रेडिट का 55 फीसदी हिस्सा घर खरीदने, उच्च शिक्षा और वाहनों की खरीद में इस्तेमाल किया गया, रीटेल क्रेडिट को हम लोन के तौर पर समझ सकते हैं। रिसर्च रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हाउसिंग लोन्स और घरेलू बचत का संपत्तियों में निवेश से सीधा संबंध है। वित्तीय वर्ष 2011-12 में घरेलू बचत अच्छी होने से संपत्तियों में किया जाने वाला निवेश दो तिहाई से ज्यादा था, लेकिन कोविड महामारी की वजह से 2021-22 में यह गिरकर 48 प्रतिशत रह गया था। हालांकि अब इसमें एक बार फिर तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है साथ ही वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर 70 प्रतिशत हो गया है। इतना ही संपत्तियों की मांग में आई तेजी की वजह से बीते तीन वर्षों के दौरान कीमत में भी काफी उछाल देखा गया है साथ ही खरीदारी के ट्रेंड में भी कुछ बदलाव दिखाई दिए हैं।
टिकट साइज हाउसिंग की मांग कम
बीते तीन वर्षों के दौरान संपत्ति बाजार का जो ट्रेंड रहा है उसमें टिकट साइज हाउसिंग अर्थात छोटे मकानों की मांग में कमी देखने को मिली है। कोविड महामारी के दौरान लोगों को अपने घरों से ही आॅफिस का काम करना पड़ा था। मौजूदा समय में भी कई कंपनियां अपने कर्मियों को आपसी समझ के अनुरूप घर से ही काम करने का अवसर दे रही हैं। इससे कंपनियों को आॅफिस इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च में कटौती करने में भी मदद मिली है। वैसे हाल ही में जी—20 सम्मेलन के दौरान एक बार फिर सरकार की तरफ से लोगों को घर में रहने और वहीं से काम करने की सलाह दी गई थी। उस दौरान स्कूलों ने भी एक बार फिर आॅनलाइन कक्षाओं का विकल्प अपनाया था। कहने का अर्थ यह है कि जो निवेशक दो कमरे का मकान तलाश रहे थे वे अब तीन कमरों के मकान को वरीयता दे रहे हैं। वहीं तीन कमरों के विकल्प तलाशने वाले चार या फिर तीन कमरों के साथ सर्वेंट रूम वाले मकानों को तरजीह देने लगे हैं। वैसे आपको याद होगा कि 2008—2009 की वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद 2010—2011 के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में बिल्डरों ने छोटे आकार के मकानों वाली अनेक परियोजनाओं की लांचिंग की थी लेकिन उस दौर की तुलना मौजूदा समय से करें तो स्थितियां पूरी तरह बदली हुई हैं।
लग्जरी हाउसिंग में तेजी
क्रेडाई जो कि देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले बिल्डरों और डेवलपरों की ही संस्था है उसने भी बीते महीने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें बताया गया था कि देश के किन हिस्सों में और किन संपत्तियों की कीमत में सबसे ज्यादा उछाल आया है। उस रिपोर्ट के अनुसार देश के चारों महानगरों में मिलने वाले लग्जरी हाउसिंग के विकल्प में औसतन 24 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। मतलब यह है कि आज से पांच साल पहले ऐसी जो संपत्तियां 12 हजार रुपये प्रति वर्ग फुट के दामों पर खरीदी जा सकती थीं अब उन्हें पाने के लिए ग्राहकों को 15,350 रुपये प्रति वर्ग फुट का बजट रखना पड़ रहा है। इसी तरह नए विकसित हो रहे क्षेत्रों की संपत्तियों के दामों में 25 से 45 फीसदी तक का इजाफा देखा गया है। गुड़गांव के गोल्फ कोर्स रोड और द्वारका एक्सप्रेसवे पर तो संपत्तियों के दाम क्रमश: 46 प्रतिशत और 40 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।
कीमत बढ़ने की वजह क्या है
बीते तीन से चार के आंकड़ों पर नजर डालें तो कोरोना महामारी की वजह से एक लंबे अरसे तक बिल्डरों को परियोजनाओं का निर्माण कार्य बंद रखना पड़ा था, इतना ही नहीं महामारी के डर से एक बड़ा मजदूर वर्ग अपने मूल निवास की तरफ भी रुख कर गया था। तब बिल्डरों को मजदूरों की कमी का साफ अभाव झेलना पड़ा था। वहीं जब सब कुछ सामान्य हुए तो निर्माण सामग्रियों मसलन स्टील, सीमेंट, रेत, बजरी वगैरह के दामों में भी वृद्धि हो गई जिसका सीधा असर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट पर पड़ा जिसकी वजह से बिल्डरों को संपत्तियें के दाम बढ़ाने पड़े। इधर, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम सहित दूसरे शहरों की बात करें तो वहां के विकास प्राधिकरण नए मास्टर प्लान को अंतिम रूप देने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। जैसे ही मास्टर प्लान पटल पर होगा उसके बाद बिल्डरों को विकास कार्य अंजाम देने के लिए नई जमीन उपलब्ध करवाएगा। ऐसे में निकट भविष्य में हमें नए विकसित होते क्षेत्र भी देखने को मिलेंगे।
क्या निवेश का यह उचित समय
यहां एक सवाल यह भी है कि यदि हम संपत्ति में निवेश के इच्छुक हैं तो क्या हमें इसी समय निवेश करना चाहिए या फिर हमें नए विकसित होने वाले इलाकों में विकास कार्य शुरू होने का इंतजार करना चहिये। यहां मैं यही कहूंगा कि यदि आप अपने खुद के इस्तेमाल के लिए संपत्ति लेना चाहते हैं या फिर आप अपनी ही किसी पुरानी संपत्ति को बेचकर बड़े आकार या किसी विकसित क्षेत्र में संपत्ति खरीदने के इच्छुक हैं तो उस काम में देर न करें। यदि आपका इरादा लोन लेकर महज निवेश का है तो आप नए मास्टर प्लान तक का इंतजार कर सकते हैं। इसके साथ ही यहां यह भी कहना चाहूंगा कि यदि आपके पास पर्याप्त मात्रा में निवेश के लिए धन की उपलब्धता है तो इस स्थिति में भी समय का इंतजार न करें। संभावनाओं से पर्याप्त इलाकों में से किसी एक को चुनें और वहां निवेश कर दें। भविष्य में आप चाहें तो मौजूदा निवेश को आप दूसरे इलाकों की तरफ ले जा सकते हैं। वैसे भी इस लेख के आंरभ में ही मैंने यह लिखा है कि किसी भी संपत्ति की कैपिटल वैल्यू तो समय के साथ बढ़ती ही जाती है।
Arun kumar baranwal