भारत में उद्योग जगत के लिए बड़ी खुशखबरी है। भारत ने चार यूरोपीय देशों के साथ राजधानी दिल्ली में एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इन देशों में स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिनसेस्टाइन शामिल हैं। समझौते के तहत यह चारों यूरोपीय देश भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करेंगे। माना जा रहा है कि इस समझौते से भारत में अगले 15 वर्ष में 10 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। इस समझौते में बौद्धिक संपदा अधिकार, सेवाओं में व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, व्यापार सुविधा समेत कई क्षेत्र को शामिल किया गया है। यह समझौता एफटीए (फ्री टेड एसोसिएशन) के लिहाज से अहम है, क्योंकि इसमें निवेश को अनिवार्य किया गया है। बता दें कि इस ऐतिहासिक समझौते की बातचीत वर्ष 2008 में शुरू की गई थी। तब से समझौते पर फाइनल मुहर लगने से पहले कुल 21 दौर की वार्ता हुई।
व्यापार और आर्थिक साझेदारी
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में नई दिल्ली में भारत-ईएफटीए के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के दस्तावेज का आदान-प्रदान हुआ। इस समझौते को सात मार्च को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल गई थी। सौदे से जहां भारत को बड़ा निवेश मिलेगा, वहीं बदले में यूरोपीय देशों के प्रॉसेस्ड फूड, ब्रेवरेज और इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी को दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत के 140 करोड़ लोगों के बाजार तक आसान पहुंच मिलेगी। समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे देश के युवाओं के लिए नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने सौदे को द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से ऐतिहासिक पल बताया है।
समझौते में 14 अध्याय
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि इस समझौते में 14 अध्याय हैं। इनमें माल में व्यापार, उत्पत्ति के नियम, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सेवाओं में व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल है। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि भारत और ईएफटीए के साथ हुए समझौते में सामान सेवाएं और निवेश, आईटी, आॅडियो-विजुअल और कुशल पेशेवरों जैसे प्रमुख घरेलू सेवा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इसमें निवेश और निर्यात को बढ़ावा देना प्रमुख हैं।
भारत का बड़ा भागीदार स्विट्जरलैंड
बता दें कि भारत-ईफएटीए के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में 18.65 अरब डॉलर रहा था, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में 27.23 अरब डॉलर था। पिछले वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 14.8 अरब डॉलर था। इन देशों में स्विट्जरलैंड, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इसके बाद नॉर्वे का स्थान है। भारत 27 देशों के समूह यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ अलग से एक वृहद मुक्त व्यापार करार के लिए भी बातचीत कर रहा है।
भारत को क्या होगा फायदा
स्विट्जरलैंड सरकार ने भारत के साथ इस समझौते को ‘मील का पत्थर’ बताया है। इस समझौते के बाद भारत कुछ समय के लिए उच्च गुणवत्ता वाले स्विस उत्पादों जैसे स्विस घड़ी, चॉकलेट, बिस्कुट जैसी चीजों पर कस्टम ड्यूटी हटा देगा। वहीं, भारत सोने को छोड़कर, स्विट्जरलैंड से लगभग 95 प्रतिशत औद्योगिक आयात पर कस्टम ड्यूटी खत्म कर देगा। इससे सीफूड जैसे टूना, सॉलमन, कॉफी, तरह-तरह के तेल, कई तरह की मिठाइयां और प्रोसेस्ड फूड की कीमत भारत में कम हो जाएगी। इसके अलावा स्मार्टफोन, साइकिल के सामान, मेडिकल के उपकरण, डाई, कपड़ा, स्टील के सामान और मशीनरी भी सस्ते हो जाएंगे।
निवेश-नौकरियों पर कितनी प्रतिबद्धता
समझौते में शामिल चारों देशों ने भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश और 10 लाख नौकरियां पैदा करने को लेकर प्रतिबद्धता जतायी है। मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में स्विट्जरलैंड की मंत्री हेलेन बडलिगर अर्टिडा ने बताया कि स्विस की कंपनियों और जिन अन्य कंपनियों से हमने बात की है, उनकी भारत में गहरी रुचि है। हम 100 अरब डॉलर निवेश के आंकड़े पर जरूर पहुंचेंगे। भारत के जीडीपी अनुमान और यहां का बड़ा बाजार हमारे इस निवेश की राशि पर पहुंचने का आधार है। उन्हें स्पष्ट किया कि अगर हम किन्हीं कारणों से 100 अरब डॉलर के निवेश नहीं कर सके तो हम वापस चले जाएंगे। वहीं, स्विट्जरलैंड के अर्थव्यवस्था मंत्री गाइ परमेलिन ने कहा कि, भारत व्यापार और निवेश के लिए अपार अवसर देने वाला देश है। इस समझौते से फार्मा और मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में फायदा होगा। साथ ही भारतीय निर्यातकों की चारों देशों के बाजार में पहुंच आसान हो जाएगी।
कब से प्रभावी होगा समझौता
यह समझौता कब से प्रभावी होगा इस पर स्विट्जरलैंड की मंत्री हेलेन बडलिगर अर्टिडा ने बताया कि हर देश का अलग-अलग समय है। स्विट्जरलैंड में हम आटम सेशन में इस समझौते को संसद पेश करेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल के अंत तक इसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बाकी के ईएफटीए देश भी तब तक अपनी प्रक्रियाएं पूरी कर लेंगे।
Arun kumar baranwal