May 7, 2024
नई दिल्ली। अमेरिका और यूरोप देखते रह गए और भारत ने बाजी मार ली। वहीं अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर ऐसा पहली बार हुआ है कि चीन भारत से कोसों पीछे नजर आ रहा है। इसके अलावा सर्विस सेक्टर में दुनिया के तमाम विकसित देश भारत के आसपास नहीं दिख रहे हैं। आर्थिक मोर्चे पर भारतीय अर्थव्यवस्था नित नए झंडे गाड़ रही है। ऐसा ही कुछ सर्विस के सेक्टर में भी देखने को मिला है। भारतीय प्रोफेशनल्स की बढ़ती मांग के चलते देश का सर्विस सेक्टर पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन चुका है। आलम ये है कि अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देश भी देखते रह गए और भारत इनसे मीलों आगे निकल गया। वहीं पड़ोसी देश चीन की बात करें तो वह भारत के सर्विस सेक्टर के आसपास भी नहीं दिख रहा है। एचएसबीसी इंडिया की ओर से जारी सर्विस सेक्टर के पीएमआई आंकड़े देखें तो भारतीय सेक्टर इस समय अब तक के शीर्ष स्तर पर दिख रहा है।
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एचएसबीसी इंडिया की रिपोर्ट में खुलासा
एचएसबीसी इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधियां अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों और मजबूत मांग के दम पर उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं हैं। एक आरे जहां दुनिया के अन्य देश मंदी से जूझ रहे हैं वहीं भारत में पीएमआई बढ़ना बड़ी बात है। मासिक सर्वेक्षण में पता चला है कि मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया भारत सेवा खरीद प्रबंधक सूचकांक और कारोबारी गतिविधि सूचकांक यानी पीएमआई मार्च में 61.2 पहुंच गया। बता दें कि पीएमआई की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम अंक का मतलब गिरावट से होता है। एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि अप्रैल में भारत की सेवा गतिविधियों में थोड़ी धीमी गति से वृद्धि हुई। जिसे घरेलू मांग में उल्लेखनीय मजबूती के साथ नए ठेकों और वृद्धि का समर्थन मिला। घरेलू मांग में तेजी के अलावा, कंपनियों ने दुनिया के कई हिस्सों से नए कारोबारी लाभ का भी उल्लेख किया। जिसने सामूहिक रूप से सितंबर 2014 में श्रृंखला शुरू होने के बाद से अंतरराष्ट्रीय बिक्री में दूसरी सबसे तेज वृद्धि को बल दिया। एचएसबीसी इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह भारतीय सेवा में सबसे मजबूत उछाल है।
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विनिर्माण व सेवा दोनों क्षेत्रों में कुल उत्पादन
भंडारी ने कहा कि विनिर्माण व सेवा दोनों क्षेत्रों में कुल उत्पादन अप्रैल में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। भले ही इसकी गति थोड़ी धीमी रही लेकिन यह आने वाले समय के लिए बड़ा संकेत दे रहा है। बता दें कि पीएमआई का इकोनॉमी पर सीधा असर पड़ता है। इसको जीडीपी ग्रोथ रेट के पहले जारी किया जाता है। पीएमआई सर्विस सेक्टर समेत प्राइवेट सेक्टर की अनेक गतिविधियों पर आधारित होता है। इसमें शामिल तकरीबन सभी देशों की तुलना एक जैसे मापदंड के आधार पर की जाती है। किसी देश का पीएमआई 5 प्रमुख फैक्टर्स पर आधारित होता है। इन पांच प्रमुख कारकों में नए आॅर्डर, इन्वेंटरी स्तर, प्रोडक्शन, सप्लाई डिलिवरी और रोजगार वातावरण शामिल हैं। विनिर्माण उत्पादन मार्च में लगातार 33वें महीने बढ़ा है। भारत के पीएमआई बढ़ने के पीछे नए आॅर्डर में लगातार आ रही तेजी है। मार्च महीने के दौरान डिमांड में काफी तेजी देखने को मिली थी। डिमांड भी रिकॉर्ड पर है। अमेरिका, एशिया, यूरोप समेत कई अन्य जगहों पर भारतीय सामान की अच्छी सेल्स देखने को मिली है।
Rajneesh kumar tiwari