नई दिल्ली। आरबीआई ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए 100 टन सोने की घरवापसी करवाई है। यह सोना ब्रिटेन के सेंट्रल बैंक में सालों से जमा था। जिसे आरबीआई ने फिर से अपने खाते में डलवाया है। वहीं गोल्ड रिजर्व के बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है। एक समय था जब देश का सोना बाहर रखने की खबरें सुनने को मिलती थी। कर्ज या अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने के लिए विदेशी बैंकों में देश का सोना गिरवी रखने को मजबूर होना पड़ता था। यह दौर भारत की आजादी के पहले से ही जारी था जो देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद भी कई दशकों तक जारी रहा। ब्रिटेन बैंक आॅफ इंग्लैंड में आजादी के बाद भी भारत ने कई टन सोना रखा हुआ था। अब 100 टन सोने की वापसी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक का यह कदम ऐतिहासिक बताया जा रहा है। यह देश के स्वर्ण भंडार की सबसे बड़ी वापसी है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, मार्च 2024 के अंत तक आरबीआई के पास कुल 822 टन सोना था, जिसमें से 413 टन विदेशों में जमा था। अब इस सोने को धीरे-धीरे भारत लाया जा रहा है। वैश्विक आंकड़ों के मुताबिक, हाल के वर्षों में सोना खरीदने वाले केंद्रीय बैंकों में आरबीआई प्रमुख है। जिसने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 27 टन सोना अपने भंडार में शामिल किया है। बता दें कि भारतीयों के लिए सोना सदियों से इमोशनल मुद्दा रहा है। हमारे देश के हर घर में सोना होता है और कोई उसे बेचना नहीं चाहता है। 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए चंद्र शेखर सरकार ने कीमती धातु को गिरवी रखा था। वे दिन लद गए जब भारत के सामने विपरीत परिस्थतियां थी। आज के समय में भारत की अर्थव्यस्था रोज नए कीर्तिमान बना रहा है। यह दौर भारतीय अर्थव्यवस्था के बदलते हालात और आत्मविश्वास को दर्शा रहा है जो 1991 की स्थिति के बिल्कुल अलग है। आज के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई इकोनॉमी बनी हुई है। इस पर तमाम ग्लोबल एजेंसियों ने अपनी मुहर लगाई है। हाल ही में अमेरिकी रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने 14 साल के बाद भारत के आउटलुक में चेंज करते हुए इसे स्थिर से पॉजिटिव में तब्दील कर दिया है। यानी इस रेटिंग एजेंसी ने भारत के प्रति अपना नजरिया बदल लिया है। लोकसभा चुनावों के बीच यह बड़ी खुशखबरी है। इस गुड न्यूज पर देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बयान दिया। उन्होंने कहा है कि सरकार के तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। यह रिपोर्ट दुनियाभर में भारत की उभरती ताकत और उसके भरोसे का प्रतीक है। बता दें कि इससे पहले आखिरी बार साल 2010 में इस रेटिंग को बदला गया था। तब एजेंसी ने रेटिंग परिदृश्य को नेगेटिव से बढ़ाकर स्टेबल किया था। कोरोना काल के बाद इंडियन इकोनॉमी ने जोरदार वापसी करते हुए सभी को चौंका दिया। इसकी रफ्तार अभी भी बरकरार है। इस वजह से रेटिंग एजेंसी को भारत के प्रति अपना नजरिया बदलना पड़ा। अपनी रिपोर्ट में एसएंडपी ने कहा कि अगर भारत सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति को अपनाता है तो तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है। ये कदम अगले दो साल में भारत की साख को बढ़ाने वाले साबित होंगे। अमेरिकी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम होता है तो जीडीपी तेजी से दौड़ने लग जाएगी।
Rajneesh kumar tiwari