इतिहास के पन्नों में हर दिन किसी न किसी खास घटना से जुड़ा होता है। ऐसे में 30 जून के दिन भी कई बड़ी घटनाओं ने देश और दुनिया पर अपनी छाप छोड़ी। आज के दिन 1938 में कार्टून चरित्रों में शुमार सुपरमैन पहली बार कॉमिक्स के पन्नों पर नजर आया था। उसके बाद यह सुपरमैन दुनियाभर के बच्चों का पसंदीदा किरदार बन गया। देश-दुनिया के इतिहास में 30 जून की तारीख पर दर्ज अन्य प्रमुख घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है।
1-
1855 : बंगाल के भोगनादिघी में सशस्त्र संथालों ने विद्रोह का बिगुल फूंका था।
2-
1870 : अदा केपले यूएस में लॉ कॉलेज से ग्रेजुएट करने वाली पहली महिला बनी थीं।
3-
1888 : फ्रेडरिक डगलस अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकित होने वाले पहले अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक बने थे।
4-
1917 : देश के महान स्वतंत्रता सेनानी दादाभाई नौरोजी का निधन हुआ था।
5-
1928 : हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध संगीतकर कल्याणजी का जन्म हुआ था।
6-
1933 : फासीवाद के खिलाफ एंटवर्प में 50 हजार लोगों ने प्रदर्शन किया था।
7-
1934 : भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक सी. एन. आर. राव का जन्म हुआ था।
8-
1934 : जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने अपनी नेशनल सोशलिस्ट पार्टी में विरोधियों का सफाया किया था।
9-
1937 : दुनिया का पहला इमरजेंसी नंबर 999 लंदन में जारी किया गया था।
10-
1938 : बच्चों का पसंदीदा कार्टून सुपरमैन पहली बार कॉमिक में नजर आया था।
11-
1947 : भारत के विभाजन की घोषणा के बाद बंगाल और पंजाब के लिए बाउंड्री कमीशन के सदस्यों की घोषणा की गई थी।
12-
1948 : ब्रिटिश सेना की अंतिम टुकड़ी इजरायल छोड़ स्वदेश रवाना हुई थी।
13-
1960 : अमेरिका ने क्यूबा से चीनी का आयात बंद करने का फैसला किया था।
14-
1966 : अमेरिका के बॉक्सर और अभिनेता माइक टाइसन का जन्म हुआ था।
15-
1969 : श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर सनत जयसूर्या का जन्म हुआ था।
16-
1990 : पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी ने अपनी अर्थव्यवस्था का विलय किया था।
17-
1999 : आस्ट्रेलियाई उप-प्रधानमंत्री तथा नेशनल पार्टी के नेता टीम फिशर ने इस्तीफा दिया था।
18-
2000 : राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अमेरिका में डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता दी थी।
19-
2005 : स्पेन ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी थी।
20-
2007 : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आम सहमति से शांति रक्षण विभाग के बंटवारे का निर्णय लिया था।
21-
2008 : रविकांत, उमा शंकर चौधरी और विमल चन्द्र पांडेय को संयुक्त रूप से भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार प्रदान किया गया था।
Arun kumar baranwal