नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने महाविशाल ब्लैक होल की चिमनी का सिरा आखिरकार खोज ही लिया। वैज्ञानिकों के अनुसार यह घटना अंतरिक्ष के लिए बेहद खतरनाक है। चिमनी रूपी महादैत्य से निकली गैंसे 32 लाख किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ब्रह्मांड से टकरा रहीं हैं। वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड का एक और बड़ा दुश्मन खोज निकाला है। अनगिनत रहस्यों के भंडार ब्लैक होल को लेकर द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने महाविशाल ब्लैक होल की दो चिमनियों के सिरे का पता लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारी आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद महाविशाल ब्लैक होल डकार ले रहा है। ब्लैक होल से धकेली गई गैस चिमनी तक जाती है। इसके बाद यह आसपास मौजूद ठंडी गैस से 32 लाख किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से टकराती है। इसके बाद ये गैंसे पूरी आकाशगंगा में भयानक रूप में फैल जाती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार महाविशाल ब्लैक होल की चिमनी का सिरा एक्स-रे एनर्जी का चमकदार इलाका है। यह गैलेक्सी के ब्लैक होल से करीब 700 प्रकाश वर्ष दूर है। इसके बावजूद यह बेहद गर्म गैस की लंबी चिमनी से जुड़ा है। चिमनी का सिरा भयानक रूप से गर्म गैसों का उत्सर्जन कर रहा है। ये चिमनियां दोनों तरफ सैकड़ों प्रकाश वर्ष दूर तक गर्म गैस फेंक रही हैं। यह उसी तरह हमारी आकाशगंगा को नुकसान पहुंचा रहा है जैसे पृथ्वी को कार्बन गैसों से खतरा है। बता दें कि कार्बन उत्सर्जन से ग्लोबल वार्मिंग जैसे खतरे बढ़ गए हैं। इससे पृथ्वी का चक्र बदल रहा है। यानी बारिश, गर्मी और सर्दी या तो ज्यादा हो रही है या बेहद कम हो रही है। इसी तरह चिमनी से निकली गैंसे ब्रह्मांड के लिए खतरा बन रही हैं। ब्लैक होल पर की गई हालिया स्टडी को आॅथर स्कॉट मैकी ने लीड किया हैं। ये यूनिवर्सिटी आॅफ शिकागो में एस्ट्रोफिजिसिस्ट हैं। रिपोर्ट के अनुसार आकाशगंगा के महाविशाल ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य से लगभग 40 लाख गुना ज्यादा है। यह हमारी गैलेक्सी के केंद्र में रहते हुए तारों, गैस के बादलों और अन्य पदार्थ को निगल रहा है। वहीं आसपास मौजूद कुछ पदार्थ हमेशा ही ब्लैक होल के मुंह तक नहीं पहुंचते हैं। कभी-कभी पदार्थ ताकतवर चुंबकीय क्षेत्र की वजह से विशाल जेट के रूप में ब्लैक होल से बाहर निकल जाता है। बता दें कि यह अध्ययन उस खोज का समर्थन करता है जो अभी कुछ दिनों पहले आई थी। जिसमें बताया गया था कि महाविशाल ब्लैक होल से पैदा हुईं हवाएं ब्रह्मांड का नक्शा बदल सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार आकशगंगा में इससे मात्रा में रेडिएशन पैदा हो रहा है। यह रेडिएशन गैस के बादलों को धकेलता है जिससे हवाओं की रफ्तार करोड़ों किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जाती है। स्टडी में पता चला है कि इन हवाओं की रफ्तार 58 मिलियन किलोमीटर प्रति घंटा होती है।
Rajneesh kumar tiwari