जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 1999 में खोजा गया क्षुद्रग्रह बेन्नू मौजूदा समय में हमारे ग्रह पृथ्वी के लिए सबसे बड़ा खतरा बना चुका है। यह अगले महीने धरती से टकरा सकता है। वहीं इसके अचानक प्रकट हो जाने से दुनिया भर के वैज्ञानिक हैरान हैं। दुनियाभर के वैज्ञानिक पृथ्वी के वायुमंडल में एक ऐसे एस्टेरायड के आने से आश्चर्य में हैं जिसका पहले पता ही नहीं चल पाया था। इसका नाम 2007 एफटी-3 है। वैज्ञानिक इसे खोया हुआ एस्टेरायड कह रहे हैं। इसे आखिरी बार साल 2007 में देखा गया था। अनिश्चितता के बावजूद नासा ने इसके प्रभाव की संभावना का अनुमान लगाया है। यह 5 अक्टूबर 2024 को पृथ्वी से टकरा सकता है। वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि अगर यह इस बार धरती से टकराने से बच गया तो 2030 में फिर वापस लौट आएगा। इस बार यह खाली हाथ वापस नहीं जाएगा, बल्कि धरती पर वार करेगा। इससे भारी तबाही की आशंका है। इस क्षुद्रगह के टकराने से 2.6 बिलियन टन टीएनटी ऊर्जा निकलेगी। दूसरी ओर बार-बार धरती की ओर रहे उल्कापिंडों को लेकर नासा के बाद इसरो चीफ डाक्टर एस. सोमनाथ ने बयान दिया। उन्होंने भविष्य में आने वाली तबाही को लेकर चेताया है। सोमनाथ ने कहा कि एक बड़ा एस्टेरायड अगर धरती से टकराता है तो यह इंसानियत के लिए बड़ा खतरा होगा। उन्होंने कहा कि इसरो ऐसे खतरों पर नजर रख रहा है। हम ऐसे खतरों से लड़ने के लिए दुनिया भर के देशों के साथ खड़े हैं। हम अपना पूरा जोर लगा देंगे। बता दें कि इसरो इस समय लगातार इस एस्टेरायड पर नजर रख रहा है। इसे ट्रैक करने के लिए नेटवर्क फार स्पेस आबजेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस प्रोजेक्ट चल रहा है। पृथ्वी की आ रहे एक अन्य उल्कापिंड पर भी इसरो की नजर है। अनुमान जताया जा रहा है कि यह तीन फुटबाल स्टेडियम के बराबर है। वहीं दुनिया के सबसे बड़े नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम के बराबर है। इसकी खोज साल 2004 में की गई थी। वैसे तो धरती से इसकी टक्कर 2068 में हो सकती है। उससे पहले यह दो बार धरती के पास से निकलेगा। एक तो अभी से पांच साल बाद 13 अप्रैल 2029 में धरती के पास आएगा। तब ये धरती से मात्र 32 हजार किलोमीटर दूर से निकलेगा। बता दें कि एस्टोरायड इसलिए खतरा है क्योंकि इसका कक्षा से कुछ दूर जियोस्टेशनरी सैटेलाइट तैनात हैं। दूसरी बार साल 2036 में पृथ्वी के बेहद करीब आएगा। इसरो का अंदाजा है कि यदि यह बड़ा एस्टेरायड अगर धरती से टकराता है तो वह पूरे एशिया को खत्म कर सकता है। एस्टेरायड की टक्कर वाली जगह से चारों तरफ करीब 20 किलोमीटर के दायरे में सामूहिक संहार हो होगा। यानी किसी भी तरह के जीव-जंतुओं की कोई आबादी नहीं बचेगी। सब कुछ खत्म हो जाएगा। इसरो, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक एस्टेरायड एपोफिस के रास्ते, गति और इससे होने वाले नुकसान का आकलन कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि धरती से इसके टकराने का चांस 1.50 लाख में एक बार ही है। वहीं इसकी सही जानकारी 2029 के फ्लाइबाय के बाद होगी।
Rajneesh kumar tiwari