जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 24 सितंबर की रात दुनिया पर भारी पड़ने वाली है। धरती की ओर 72 लाख किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से तबाही आ रही है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसको लेकर हाई अलर्ट जारी किया है। नासा ने चेतावनी देते हुए कहा कि बेहद तेजी के साथ धरती की ओर दो एस्टेरायड आ रहे हैं। इनमें नाम 2020 जीई और 2024 आरओ 11 है। यह 72 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहे हैं। इसको लेकर नासा ने कहा कि 24 सितंबर की रात दुनिया में बढ़ी तबाही हो सकती है। धरती पर 72 लाख किलोमीटर की रफ्तार से तबाही आ रही है। नासा ने इसके बारे में कहा कि ये हालांकि इनके पृथ्वी से सीधे टकराने की संभावना नहीं है। इसके बावजूद अगर इसने रास्ता बदल लिया तो बेहद खतरनाक होगा। यह जहां भी पृथ्वी से टकराएगा वहां तबाही ही तबाही दिखाई देगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी घटनाएं 999 वर्षों में एक बार होती हैं। इससे दुनिया भर में चिंता का माहौल बना हुआ है। नासा के वैज्ञानिक ने कहा कि इस एस्टेरायड के भले ही पृथ्वी से टकराने की आशंका कम है जब ये धरती के पास से गुजरेंगे, तो पृथ्वी पर भयंकर कंपन महसूस किया जा सकता है। इससे पहले 15 सितंबर को एस्टेरायड 2024 आरएन16 धरती के पास से गुजरा था। जिससे एक भयंकर शाकवेव उत्पन्न किया था। यह 16 मेगाटन ऊर्जा के बराबर थी। इन दोनों एस्टेरायड्स की विशेषताएं के बारे बात करें तो 2024 आरओ 11 लगभग 120 फीट यानी 36 मीटर लंबा है। इसका आकार एक छोटे हवाई जहाज के बराबर है। यह धरती के काफी करीब, लगभग 1.5 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। वहीं दूसरी ओर 2020 जीई एस्टेरायड अपेक्षाकृत छोटा है। यह पृथ्वी से लगभग 6 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरने वाला है। दूसरी ओर लगातार बढ़ रहे एस्टेरायड्स की संख्या ने नासा को चौकस कर दिया है। ये घटना दर्शाती है कि अंतरिक्ष से आने वाले खतरों पर नजर रखना कितना महत्वपूर्ण हो चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि एस्टेरॉयड्स की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नए तकनीकी उपायों की आवश्यकता है। नासा ने इन एस्टेरायड्स को विशेष दूरबीनों से देखने की सलाह दी है जिससे संभावित खतरों का सही आकलन किया जा सके। बता दें कि इन खतरों पर नजर रखने के लिए सिर्फनासा ही नहीं दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियां काम कर रही हैं। इसी क्रम में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी पूरी तैयारी कर रही है। इसरो ने अंतरिक्ष में अपना स्पेश स्टेशन बनाने का फैसला किया है। इससे दुनिया की ओर आ रहे संभावित खतरों पर नजर रखी जा सकेगी। वहीं अन्य तरह के शोध भी किए जा सकेंगे। इनमें मौसम की मार से होने वाली परेशानियां भी शामिल हैं।
Rajneesh kumar tiwari