जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। हमारी धरती रहस्यों से भरी हुई है। जिनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिनका जवाब विज्ञान आज तक नहीं खोज पाया। ये रहस्य वैज्ञानिकों के लिए भी पहेली बने हुए हैं और अब तक अनसुलझे बने हुए हैं। हम आपको धरती के ऐसे बड़े रहस्यों से परिचित कराएंगे जिनका जवाब आज तक साइंस नहीं खोज पाया। वहीं इन्हें लेकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं। दुनिया के बड़े रहस्यों में मिनेसोटा के झरने का नाम आता है। इस झरने का आधा पानी नदी में मिलता है। वहीं आधी नदी गुफा में समा जाती है। स्थानीय लोगों ने इस नदी का नाम शैतान की केतली रखा है। कई वैज्ञानिकों ने इस गुफा से जुड़े रहस्य को खोजने और नदी के गुफा में समाहित होन के कारण खोजने कोशिश की। आज तक वैज्ञानिकों को कोई सफलता नहीं मिली है। बता दें कि यह गुफा अमेरिका के मिनेसोटा में जज सीआर मैगनी स्टेट पार्क में है। मैगनी स्टेट पार्क में यह नदी एक झरने के तौर पर गिरती है। बताया जाता है कि गुफा का पानी घुमावदार, संकरी चट्टानों के रास्ते से होते हुए नीचे गिरता है। इसके बाद इस गुफा में पूरा का पूरा समा जाता है। अद्भुत चमत्कारों में नॉर्वे की घाटी का नाम आता है। यहां बिना किसी वजह के हवा में चमकदार रोशनी दिखती है। वैज्ञानिकों ने इसे रिकॉर्ड तो किया, लेकिन इसकी असली वजह आज तक नहीं खोज पाए। इसी तरह आॅस्ट्रेलिया का हिलर लेक पूरी दुनिया में अपने गुलाबी पानी के लिए मशहूर है। आॅस्ट्रेलिया यूं तो अपने ग्रेट बैरियर रीफ के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है पर यहां की हिलर लेक घुमक्कड़ों को अपनी ओर खींच लेती है। झील हमेशा गुलाबी रंग की रहती है। इसका पानी निकालने पर भी रंग नहीं बदलता। यह झील बाकी झीलों के मुकाबले आकार में काफी छोटी है और इसका क्षेत्रफल केवल 600 मीटर का है। झील चारों तरफ से पेपरबार्क और यूकेलिप्टस पेड़ों से घिरी हुई है। वैज्ञानिक इस लेक के गुलाबी रंग होने की वजह एल्गी और बैक्टीरिया को मानते हैं। एल्गी और बैक्टीरिया होने के बावजूद यहां का पानी मानव और वन्य जीवन को किसी तरह की नुकसान नहीं पहुंचाता है। ऐसे में वैज्ञानिक इसे बैक्टीरिया या खनिजों का असर मानते हैं, लेकिन ठोस कारण अज्ञात है। डेड सी की ही तरह हिलर लेक में भी नमक की मात्रा काफी ज्यादा है। जो इसे एक सलाइन लेक बनाते हैं। ज्यादा नमक होने के बावजूद यह झील तैराकी के लिए एकदम सुरक्षित है। डेथ वैली के चलने वाले पत्थर भी आज तक अनसुलझी पहेली बने हुए हैं। अमेरिका की इस घाटी में भारी पत्थर अपने आप खिसकते हैं। पत्थर रेत पर अपना निशान छोड़ जाते हैं। वैज्ञानिकों ने कई सिद्धांत दिए, लेकिन यह रहस्य पूरी तरह हल नहीं हो पाया। ये कोस्टेस्टी के ट्रोवेन्ट लिविंग स्टोन्स कहे जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि चलते-फिरते पत्थर बच्चों को जन्म देते हैं। लंबे समय से लोग इन्हें चमत्कारी पत्थर मानते हैं। बता दें कि ट्रोवेन्ट शब्द जर्मन टर्म सैंडेस्टाइन कॉन्क्रीशन्स से आया है। जिसका मतलब है, सीमेंट की तरह की रेत। ये पत्थर अलग-अलग शेप और साइज के होते हैं। ये ज्यादातर अंडाकार और चिकने दिखते हैं। कई बार पत्थर 15 फीट के भी होते हैं तो कई पत्थर बेबी ट्रोवेन्ट होते हैं। मतलब इतने छोटे कि हथेली में समा जाएं। आश्चर्यजनक बात यह है कि समय के साथ इनका आकार बढ़ता चला जाता है। 18वीं सदी में जब पहली बार लोगों का इसपर ध्यान गया तो वे डर गए। पहले उन्हें डायनासोर के अंडों का जीवाश्म समझा गया। इसके बाद इन्हें एलियन पॉड समझा जाने लगा। लंबे समय तक जगह के आसपास कोई आबादी नहीं बस सकी। कोई भी इन स्टोन्स के पास बसना नहीं चाहता था। स्थानीय लोग इन्हें पारलौकिक ताकतों से भी जोड़ते हैं।
Rajneesh kumar tiwari