नई दिल्ली। शुक्र ग्रह को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कभी इस ग्रह पर पृथ्वी जितना पानी था। यह पानी कहां गायब हो गया ब्रह्मांड के इस बड़े रहस्य से पर्दा उठ गया है। बुध के मुकाबले सूर्य से दूर होने के बावजूद शुक्र हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है। शुक्र की सतह का औसत तापमान लगभग 465 डिग्री सेल्सियस है। इतने अधिक तापमान के बावजूद, शुक्र को पृथ्वी का जुड़वा ग्रह कहा जाता है। बता दें कि यह सूर्य के गोल्डीलॉक्स जोन में स्थित है। अरबों-खरबों साल पहले इस शुक्र ग्रह पर भी पृथ्वी जितना पानी मौजूद था। अभी तक वैज्ञानिकों के लिए यह रहस्य था कि इस पानी के सौरमंडल में पहुंचने का क्या कारण था। अचानक यह पानी कहां गायब हो गया यह भी रहस्य था। अब वैज्ञानिकों ने इस अनसुलझी पहेली को सुलझा लिया है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्र ग्रह सूर्य के चारों तरफ एक पतला सा वर्चुअल घेरा है जहां के तरल अवस्था में पानी रह सकता है। बता दें कि जीवन के लिए पानी बेहद महत्वपूर्ण तत्व है। पानी गायब होने के बाद शुक्र किसी रेगिस्तान जैसा ग्रह बन गया। लैबोरेटरी फॉर एटमोस्फियरिक एंड स्पेस फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने स्टडी के बाद पानी के गायब होने की वजह का खुलासा किया है। शोध में यह पता चला है कि शुक्र ग्रह से अब भी पानी लीक हो रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य से करीबी के चलते शुक्र का पानी हाइड्रोजन और आॅक्सीजन में टूट गया था। वातावरण में हाइड्रोजन की सांद्रता बढ़ने से ग्रह बड़ी तेजी से गर्म हुआ था। इसके कारण हाइड्रोजन अंतरिक्ष में किसी फ्लो की तरह बाहर निकल गया। हाइड्रोजन के खत्म होते ही पानी भी सूख गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि शुक्र का सारा पानी इस प्रक्रिया के चलते खत्म नहीं हुआ। शुक्र ग्रह पर इसकी कुछ मात्रा अब भी बची हुई है। इस प्रक्रिया को हम यूं समझ सकते हैं। जैसे आप कोई बोतल फेंकते हैं तो उसमें पानी की कुछ बूंदें बची रह जाती हैं। शुक्र के साथ भी यही हुआ था। शुक्र पर अब भी कुछ पानी मौजूद है जो ब्रह्मांड में लीक हो रहा है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए एचसीओ प्लस यानी डिसोसिएटिव रीकॉम्बिनेशन नाम की प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराया हैं। इस थ्योरी के अनुसार जब गैसीय एचसीओ प्लस इलेक्ट्रॉन्स से प्रतिक्रिया करता है जो एक न्यूट्रल कार्बन मोनोआॅक्साइड का अणु और हाइड्रोजन का परमाणु बनता है। इस प्रक्रिया से हाइड्रोजन परमाणु गर्म हो उठता है जो तब ग्रह के पलायन वेग को पार कर जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह प्रक्रिया शुक्र पर हमेशा होती रही। इसी वजह से शुक्र ग्रह से पानी गायब होता चला गया।
Rajneesh kumar tiwari