नई दिल्ली। विज्ञान ने वह कर दिखाया है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अब इंसान मरे हुए अपने पूर्वजों से बात कर सकता है। इतना नहीं वीडियो कॉलिंग पर उनका हालचाल भी जान सकता है। पूर्वज भी बात करने वाले को अपना आशीर्वाद देंगे। क्या मरे हुए व्यक्तियों से बात करना संभव है। इस सवाल का जवाब ज्यादातर लोग नहीं में देंगे। लेकिन अब आपको चौंकने की जरुरत नहीं है। विज्ञान और तकनीकि ने इसे भी संभव बना दिया है। अब कोई भी व्यक्ति अपने मर चुके पूर्वजों से वीडियो कॉलिंग पर बात कर सकेगा और उनका हालचाल जान सकेगा। हालांकि यह दावा आपको बेहद डराने वाला लग सकता है। लेकिन एआई की वजह से यह संभव हुआ है। द कन्वरसेशन की रिपोर्ट के अनुसार अब विज्ञान और तकनीकि के बल पर आप भी अपने पूर्वजों से आमने-सामने बैठकर बात कर सकते हैं। उन्हें अपनी बातें बता सकते हैं, उनका सारा हालचाल जान सकते हैं। पूर्वज आपके हर सवाल का जवाब भी देंगे। साथ ही आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए आशीर्वाद देंगे। आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस यानी एआई और कुछ अन्य तकनीकियों की वजह से अब मरे हुए लोगों से बात करना संभव हो गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार लोगों के लिए यह काल्पनिक फिल्म में कदम रखने जैसा रोमांचकारी है। साथ ही थोड़ा डरावना भी है। हम अब उस रहस्य के बारे में जानते हैं कि कैसे अपने पूर्वजों से बातचीत होगी। कई कंपनियां इस कार्य को कर रही हैं। इसमें सबसे पहले इसमें मृत व्यक्तियों के डिजिटल पदचिह्नों के आधार पर उनका आभासी चेहरा तैयार किया जाता है।इसके बाद तकनीक की मदद से लोगों को उनके पूर्वजों से कनेक्ट कराया जाता है। जैसे ही कोई व्यक्ति डिजिटली माध्यम से अपने पूर्वजों से कनेक्ट होगा वैसे ही वह भावनात्मक रुप से उस आभासी आत्मा से जुड़ जाएगा। यहां हैरान कर देने वाली बात यह है कि पूर्वजों से बात करने वाला व्यक्ति उन रहस्यों और कहानियों को उजागर करेगा जिसके बारे में उसने कभी सोचा या जाना ही नहीं था। जिससे वास्तविक व्यक्ति को याद करने का तरीका बदल जाता है। बातचीत के दौरान आभासी आत्मा संबंधित व्यक्ति को गहरे व्यक्तिगत अनुभवों में खींच सकता है। इस तकनीक ने अतीत और वर्तमान, स्मृति और वास्तविकता के बीच की रेखाओं को धुंधला कर दिया है। यह बात और अधिक कौतूहल पैदा करने वाली है कि मरने के बाद क्या कोई व्यक्ति आपको मोबाइल पर संदेश भेज सकता है? आपको फिलहाल भरोसा तो नहीं होगा, मगर अब इसका उत्तर हां है। हैनसन रोबोटिक्स ने रोबोटिक बस्ट बनाए हैं जो मृतक की यादों और व्यक्तित्व लक्षणों का उपयोग करके लोगों के साथ संवाद करते हैं। इसमें जनरेटिव एआई और डिजिटल आफ्टरलाइफ की बड़ी भूमिका है। यह तकनीकि सुविधा के साथ खतरे भी लेकर आई है। यह उपयोगकर्ता के अनुभव को बढ़ा सकता है, लेकिन भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक संकट भी पैदा कर सकता है। इसका ज्यादा प्रयोग करने पर प्रिय पूर्वजों से जुड़ाव के कारण मनौवैज्ञानिक विकृतियां पैदा हो सकती हैं।
Rajneesh kumar tiwari