नई दिल्ली। दुनियाभर में एलियंस को लेकर हो रहे तरह-तरह दावों के बीच चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। हावर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में जानकारी सामने आई है कि एलियंस दूसरे ग्रह पर नहीं बल्कि धरती पर रहते हैं। अध्ययन में दावा किया गया है कि वे मनुष्यों के भेष में छिपकर रहते हैं। एलियंस यानी कि दूसरी दुनिया में रहने वाले जीव वाकई होते भी हैं या नहीं। होते हैं तो कैसे होते हैं। क्या वे इंसानों से ज्यादा एडवांस हैं। एलियंस की दुनिया से जुड़े ऐसे ढेरों सवाल हैं, जिनके जवाब आज तक नहीं मिल सका है। कई सालों से वैज्ञानिक भी इस पर लगातार रिसर्च कर रहे हैं। अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने एक चौंकाने वाली जानकारी शेयर की है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी में दावा किया गया है कि एलियन्स न सिर्फ होते हैं बल्कि वे गुपचुप तरीके से पृथ्वी पर रह रहे हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ह्यूमन फ्लोरिशिंग प्रोग्राम के शोधकर्ताओं ने नए रिसर्च पेपर में कहा है कि एलियन चांद पर अंडरग्राउंड भी हो सकते हैं। इसके साथ ही वे धरती पर इंसानों के बीच हो सकते हैं। शोध पेपर में कहा गया है कि लेखक को एलियंस के बारे में कई साक्ष्य मिले हैं जो धरती पर एलियंस के होने की पुष्टी करते हैं। टीम ने अध्ययन में लिखा कि अभी तक इंसान धरती के पूरे हिस्से को नहीं जान सका है। इसमें कहा गया है कि हमारे 80 प्रतिशत महासागरों के नक्शे नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने तर्क दिया कि धरती पर इन कथित एलियन के लिए रहने की बहुत जगह है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जरूरी नहीं कि ये दूसरी दुनिया से आये हों, बल्कि हमारे बीच शुरू से ही रह रहे हों। शोध पेपर में टीम ने प्राचीन सभ्यताओं के अस्तित्व का हवाला दिया है। इसमें बताया गया है कि ये पृथ्वी के भीतर अज्ञात और उन्नत सभ्यता हैं। जो अभी भी छिपी हुई हों। पेपर में जापान में योनागुनी जिमा के तट पर खोजी गई विशाल जलग्न पत्थर की संरचना का जिक्र किया गया है। जिसके बारे में समुद्री भूवैज्ञानिकों का तर्क है कि यह जापानी अटलांटिस के 5000 साल पुराने पिरामिड के अवशेष हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि पृथ्वी के नीचे बहुत कुछ रहस्यमयी है और पूरी तरह संभव है कि सैकड़ों मील नीचे एक और प्रजाति रह रही हो, जो हमसे मिलती-जुलती हो सकती है। रिसर्च पेपर में चार फॉर्म में एलियन्स की धरती पर मौजदूगी हो सकती है। पहला फॉर्म है तकनीकी रूप से ज्यादा एडवांस सभ्यता। उसके लोग किसी रूप में धरती पर रहते हैं। दूसरा रुप ऐसे जीवों का है जो तकनीकी रूप से विकसित हैं लेकिन मानव की तरह सभ्य नहीं हैं। ऐसे में ये जीव अंडरग्राउंड हो सकते हैं। वहीं तीसरा फॉर्म ऐसे जीवों का है जो दूसरे ग्रहों से पृथ्वी तक आए हों लेकिन छुपकर रहे हों। चौथा रुप ऐसे एलियन्स का है जो धरती के लोगों से मेल खाते हैं। ये लोग तकनीकी में कम हो सकते हैं लेकिन जादुई ताकत से भरपूर हैं। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में बताया है कि अत्याधुनिक तकनीक से लैस ये सभ्यताएं ऐसी जगह अपना बेस बनाए हैं, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। टीम ने बताया कि ये ज्वालामुखी के नीचे, गहरे पानी के नीचे समुद्री खाईयों में या फिर चंद्रमा के अंधेरे इलाके में लंबे समय से रह रही हो सकती हैं। बता दें कि चंद्रमा का अधिकांश अधेरे पक्ष का अभी तक अध्ययन नहीं किया जा सका है और अभी वहां खोज हो सकती है। यह बात अलग है कि दुनिया के अंतरिक्ष एजेंसियों की दिलचस्पी चंद्रमा के इस क्षेत्र की तरफ तेजी से बढ़ी है। इस रिसर्च में ये भी माना गया है कि इस रिसर्च को अभी पूरी तरह सच न मान जाए। वैज्ञानिकों ने लोगों से अपील की गई है कि इसे केवल अपनी जानकारी तक ही माना जाए।
Rajneesh kumar tiwari