नई दिल्ली। ब्लैक होल पर किए गए नई रिसर्च के नतीजे बेहद हैरान करने वाले हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि ब्लैक होल की फुफकार आकाशगंगाओं की बनावट को ही बदल दे रही है। नई स्टडी ने ब्रह्मांड के राक्षस कहे जाने वाले ब्लैक होल के कई अन्य रहस्य भी खोले हैं। ब्रह्मांड में ब्लैक होल एक ऐसी जगह है जो आज भी दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए राज है। इसके भीतर क्या है और यह क्या कितना विशाल है यह अबूझ पहेली बना हुआ है। अब ब्लैक होेल को लेकर किए गए नई रिसर्च में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि महाविशाल ब्लैक होल का रेडिएशन गैस के बादलों को बड़ी तेजी से धकेल रहा है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ब्लैक होल की खतरनाक हवाएं अपनी आकाशगंगा में तारों के बनने की प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं। इससे आकाशगंगा के आकार पर भी असर पड़ रहा है। बता दें कि यह अध्ययन यूनिवर्सिटी आॅफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन के वैज्ञानिकों ने किया है। वैज्ञानिकों को रिसर्च के दौरान ब्रह्मांड में अजीब घटना दिखी। देखा गया कि ब्लैक होल की हवाएं सुदूर आकाशगंगा में मौजूद गैस के बादलों को 10,000 मील प्रति सेकेंड की स्पीड से बाहर धकेल रही। जब वैज्ञानिकों ने इसका कारण जानने की कोशिश की कि तो उन्हें आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद ब्लैक होल की कारस्तानी समझ में आ गई। बता दें कि वैज्ञानिक यह समझना चाह रहे थे कि ब्लैक होल अपनी आकाशगंगाओं पर क्या प्रभाव डालते हैं। इसी शोध के दौरान ये खुलासे हुए। शोधकर्ताओं की टीम के वैज्ञानिक एस्ट्रोफिजिसिस्ट कैथरीन ग्रियर और रॉबर्ट व्हीटली ने क्वेसार एसबीएस 1408 प्लस 544 पर नजर डाली ने तो उन्हें ब्लैक होल के आसपास अजीब हलचल दिखी। व्हीटली ने देखा कि ब्लैक होल से तेजी के साथ गैसीय कार्बन हवाएं रिलीज हो रही हैं। भारी और खतननाक कार्बन तारों से निकलने वाले सारे प्रकाश को सोख रहा है। व्हीटली ने बताया कि यह बदलाव हमें बताता है कि ब्लैक होल से गैस तेजी से आगे बढ़ रही है। इसे रेडिएशन द्वारा धकेला जा रहा है जो कि एक्रेशन डिस्क से बाहर निकल रहा है। रिसर्च में पता चला है कि एक्रेशन डिस्क से निकल रहीं तेज हवाएं गैलेक्सी के निर्माण को प्रभावित कर रही हैं। इससे हमारी आकाशगंगा की बनावट बदल रही है। जनप्रवाद के दर्शकों को बता दें कि इससे पहले ब्लैक होल पर हुई स्टडी में भी कई चौंकाने वाली बातें सामने आई थी। जिसका जिक्र हमने अपने वीडियो में किया था। बता दें कि दिसंबर 2023 में खगोल विज्ञानियों ने ब्रह्मांड का सबसे चमकीला ब्लैकहोल खोजा था। द आॅस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) के शोधकर्ताओं ने इसकी खोज की थी। उनके मुताबिक यह ब्लैकहोल हर रोज एक सूरज जैसे तारे को निगल रहा था। जिसकी वजह से इसका आकार तेजी से बढ़ रहा था। जिस ब्लैक होल की खोज की गई थी वह 1,700 करोड़ सूर्यों से भी भारी है। वहीं तारों का प्रकाश सोखने के कारण सूर्य की तुलना में 500 लाख करोड़ गुना ज्यादा चमकीला हो गया है। इसमें हर रोज एक बड़ा तारा समा रहा है, जिसकी वजह से इसके इवेंट होराइजन क्षेत्र में भारी मात्रा में प्रकाश और ऊष्मा का उत्सर्जन हो रहा है। दर्शकों को बता दें कि अंतरिक्ष में ब्लैकहोल ऐसे क्षेत्र को कहा जाता है, जहां गुरुत्व बल इतना ज्यादा होता है कि वहां से कुछ भी लौट नहीं सकता। यहां तक प्रकाश भी इससे गुजर नहीं सकता है।
Rajneesh kumar tiwari