जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 14 साल बाद दुनिया खत्म हो सकती है। ऐसा हम नहीं कह रहें बल्कि अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने डराने वाली जानकारी दी है। अंतरिक्ष एजेंसी ने तो परीक्षण के बाद प्रलय की तारीख भी बता दी है। हमारी पृथ्वी पर सदियों पहले ऐेसे-ऐसे डरावने जीव थे जिनकी कल्पना भी नहीं की सकती है। इन्हीं जीवों में से एक डायनासोर भी था। यह बेहद खतरनाक माना जाता है। इस प्रजाति का अंत पृथ्वी से एक एस्टेरायड के टकराने से हुआ था। अब एक बार फिर नासा के वैज्ञानिकों ने 12 जुलाई 2038 को लेकर बड़ी चेतावनी दी है। नासा के अनुसार अगले 14 सालों में एक खतरनाक क्षुद्रग्रह या एस्टेरायड पृथ्वी से टकरा सकता है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने एक काल्पनिकल टेबलटाप परीक्षण की रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट में बताया गया कि इस विशालकाय एस्टेरायड के टकराने की संभावना 72 फीसदी है। यानी नासा ने पहली बार किसी एस्टेरायड के पृथ्वी से टकराने की इतनी ज्यादा संभावना जताई है। नासा ने जान्स हापकिंस एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी में यह टबेलटॉप परीक्षण किया था। इस परीक्षण में नासा के अलावा 100 से ज्यादा विभिन्न देशो की एजेंसियां भी शामिल थीं। रिपोर्ट में बताया गया कि यह परीक्षण इस वजह से किया गया था इस तरह के खतरे से निपटने के लिए पृथ्वी की क्षमता का आकलन किया जा सके। इसमें यह भी कहा गया कि परीक्षण के दौरान काल्पनिक परिदृश्य के लिए खास तरह का माहौल तैयार किया गया। जिसमें कभी नहीं पहचाने गए एस्टेरायड की पहचान की गई। शुरूआती गणना के अनुसार इस एस्टेरायड के पृथ्वी से टकराने की 72 फीसदी संभावना देखी गई। जिसमें करीब 14 सालों का समय लगेगा। वहीं एस्टेरायड के आकार, काम्पोजिशन और लान्गटर्म ट्रेजेक्टरी को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया गया है। वांशिंगटन में नासा हेड आफिस में प्लेनेटरी डिफेंड आफिसर लिंडले जॉनसन ने इस बारे में खुलासा किया। उनका इस बारे में मानना है कि इस परीक्षण की शुरूआती अनिश्चितताओं ने प्रतिभागियों को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों पर विचार करने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि एक बड़ा एस्टेरायड निश्चित रूप से प्राकृतिक आपदा है। जिसके प्रभावों का पहले से ही इंसान एस्टेरायड के जरिए आकलन कर सकता है। इससे होने वाले खतरों से बचने का रास्ता खोजा जा सकता है। नासा के वैज्ञानिक लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने आशा जताई कि समय से पूर्व इस बड़े एस्टेरायड से निपटने के लिए तकनीक विकसित कर ली जाएगी।
Rajneesh kumar tiwari