नई दिल्ली। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने सात नए आश्चर्यजनक ग्रहों की खोज की है। यह ग्रह अवारा हैं। ये सूर्य की परिक्रमा न कर स्वतंत्र रूप से इधर-उधर तैरते रहते हैं। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इनपर कभी दिन नहीं होता है। इसके बाद भी इन ग्रहों पर एलियन के रहने की संभावना के साथ मानव जीवन की भी संभावना है। आज तक हमने आवरा जानवरों से हो रही कई सारी समस्याओं को देखा और सुना है लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरीक्ष में आवरा ग्रह होते हैं। इन ग्रहों की अपनी कई खासियतें हैं। ये ग्रह हमारी पृथ्वी से 1500 प्रकाश वर्ष दूर है। इनकी खोज यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने यूक्लिड स्पेस टेलिस्कोप से की हैं। ये सातों नए ग्रह अवारा माने जा रहे हैं। यानी ये ग्रह हमारी धरती की तरह अपने सूर्य की परिक्रमा नहीं करते हैं। ये अंतरिक्ष में स्वतंत्र रूप से इधर-उधर तैरते रहते हैं। किसी विशेष कक्षा में न रहने के कारण इन पर कभी भी दिन नहीं होता है। इन ग्रहों पर सालों भर अंधेरा छाया रहता है यानी रात रहती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि भले ही ये अवारा ग्रह अंतरिक्ष में अलग-थलग पड़े हैं, लेकिन यहां पर जीवन संभव हो सकता है। यह भी हो सकता है कि पहले से भी यहां जीवन मौजूद है। यानी कि एलियन यहां रहकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। शोधकर्ताओं न इन्हें अंतररिक्ष का अवारा और दुष्ट ग्रह बताया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि इन सात नए स्वतंत्र- रूप से तैरते ग्रहों का द्रव्यमान बृहस्पति से चार गुना बड़ा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इन ग्रहों की पूरी तरह खोजबीन की जाए तो इससे दुनिया के ऐसे रहस्य बाहर आएंगे जिन्हें जानने के लिए हर वैज्ञानिक बेचैन है। लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री गेविन कोलमैन ने भी अवारा ग्रहों के बारे में कई दिलचस्प बातें बताईं। कोलमैन ने कहा कि ये सभी अवारा ग्रह समय के अनुसार एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं। वहीं स्पेनिश खगोलशास्त्री एडुआर्डो मार्टिन इन ग्रहों के बारे में बात करते हुए कहा कि इनका आकार किसी आईसबर्ग के उपरी भाग जैसा होता है। मार्टिन ने कहा कि अवारा ग्रह अंदर से बेहद ठंडे होते हैं। उनमें जीवन को सहारा देने वाली ऊर्जा किसी तारे से नहीं बल्कि उनके अंदर से आती है। ये ग्रह शक्ति पुंज यानी पॉवर जनरेट करने वाले ग्रह हो सकते हैं। मार्टिन ने आवरा ग्रहों पर मानव के बसने पर कहा कि जैसे कि पृथ्वी पर भूतापीय छिद्र हैं। ये अंधेरे में जीवन को पनपने में मदद करते हैं वैसे ही इन ग्रहों पर समान परिस्थितियां में जीवन पनपने की संभावना है। यहां पर बैक्टीरिया, माइक्रोबियल और एलियन जीवन को बढ़ावा मिलने की भी संभावना है।
Rajneesh kumar tiwari