May 11, 2024
नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और काल्टेक के वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। इन वैज्ञानिकों ने बताया कि पृथ्वी अकेली नहीं है। इसके भीतर दूसरा ग्रह छिपा हुआ है। इसे अभी तक पाताल लोक कहा जा रहा था। धरती के अंदर दूसरे ग्रह का हिस्सा छिपा हुआ है। यह बात सुनने भले ही अजीब लगे लेकिन नासा और काल्टेक के वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी का खुलासा किया है। दूसरे ग्रह का यह हिस्सा अफ्रीका और प्रशांत महासागर के नीचे हैं। यह घटना पृथ्वी के दूसरे ग्रह से हुई टक्कर की वजह हुई। इसकी वजह से ही चंद्रमा का निर्माण हुआ था।
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450 साल पुरानी है घटना
वैज्ञानिकों के अनुसार ये बात तब की है, जब पृथ्वी बन रही थी। करीब 450 करोड़ साल पहले उस समय थीया नाम का एक छोटा ग्रह धरती से टकराया था। इस घटना को थीया इम्पैक्ट भी कहा जाता है। इसकी टक्कर की वजह से ही चंद्रमा का निर्माण हुआ। बता दें कि थीया शब्द ग्रीक टाइटन के नाम पर है। जिसने धरती से मिलने के बाद सेलीन नाम की बेटी को जन्म दिया। टक्कर के बाद छोटे ग्रह थीया का कुछ हिस्सा हमारी धरती के अंदर समा गया। ये हिस्सा आज भी अफ्रीका और प्रशांत महासागर के नीचे मौजूद हैं। चंद्रमा के बनने के बाद धरती के साथ उसके लयबद्ध तरीके से घूमने और अलाइनमेंट में इस घटना का बड़ा हाथ है।
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टक्कर की वजह से जमा हुआ काफी कचरा
टक्कर की वजह से काफी कचरा भी जमा हुआ था। धरती के चारों तरफ कचरे का छल्ला बन गया था। यह कचरा वैसे ही जमा था जैसे शनि ग्रह के चारों तरफ बना हुआ है। धीरे-धीरे समय बीतने के साथ सारा कचरा खत्म हो गया। इनमें से कुछ कचरा चांद से टकरा कर समाप्त हो गया। कुछ अंतरिक्ष में खो गया। वैज्ञानिकों ने इससे पहले ही यह बात पुख्ता कर दी थी कि धरती के नीचे दो पाताल लोक हैं। एक अफ्रीका तो दूसरा प्रशांत महासागर के नीचे है। माॉडर्न साइंस के दौर में 1970 के दशक में भूकंप विज्ञानियों ने पता कर लिया था कि धरती के मैंटल के नीचे पाताल लोक है। यह दोनों जगहें किसी महाद्वीप के आकार जितने हैं।
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पाताल लोक आज भी रहस्यमयी
पाताल लोक आज भी रहस्यमयी माना जाता है। वैज्ञानिक इसे ब्लॉब कहते हैं। ये ब्लॉब अपने आसपास मौजूद किसी भी वस्तु की तुलना में ज्यादा घने यानी ठोस है। ये दो ब्लॉब पृथ्वी के नीचे 2900 किलोमीटर की गहराई में मौजूद हैं। इस ब्लॉब ने हमारी धरती के कोर को चारों तरफ से घेर रखा है। इसे वैज्ञानिक लार्ज लो-शीयर-वेलोसिटी प्रोविंस कहते हैं। इसके बारे में तब पता चला था जब भूकंप की लहरों का अध्ययन किया जा रहा था। बता दें कि भूकंप की लहरें धरती के अलग-अलग वस्तुओं से अलग रिएक्ट करती हैं। अलग वस्तुओं के सामने इनकी गति में भी भिन्नता होती है। इन्हीं लहरों की वजह से इन दोनों ब्लॉब का पता चला था। ये प्राचीन टेक्टोनिक स्लैब अत्यधिक ऊर्जा से भरे पड़े हैं।
Rajneesh kumar tiwari