नई दिल्ली। 65000 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से विशाल उल्कापिंड धरती की ओर आ रहा है। नासा ने इसकी जानकारी दी है। यह उल्कापिंड स्टैच्यू आफ लिबर्टी के बराबर है। 260 फीट के व्यास वाला यह उल्कापिंड अगर धरती से टकरा गया तो महाविनाश हो सकता है। एक बार फिर अंतरिक्ष से धरती की ओर बड़ा खतरा आ रहा है। नासा ने चेतावनी दी है कि एक एस्टेरायड पृथ्वी के करीब आ रहा है। वैज्ञानिकों ने इसका नाम 2024 एमटी-1 रखा है। 65215 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यह आश्चर्यजनक गति से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। यह एस्टेरायड लगभग 260 फीट व्यास वाला है। 8 जुलाई 2024 को पृथ्वी के सबसे करीब पहुंचने की उम्मीद है। बता दें कि क्षुद्रग्रह 2024 एमटी 1 का पता नासा ने पहली बार नियर-अर्थ आब्जेक्ट आब्जर्वेशन प्रोग्राम के जरिए लगाया था। यह प्रोग्राम पृथ्वी के करीब आने वाले एस्टेरायड और धूमकेतुओं को ट्रैक करता है। बता दें कि दुनियाभर के वैज्ञानिक पृथ्वी की ओर आ रहे खतरों की निगरानी के लिए जमीन-आधारित दूरबीनों और रडार प्रणालियों के नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। इन्हीं दूरबीनों के जरिए पाया 2024 एमटी 1 अंतरिक्ष से पृथ्वी की ओर आ रहा है। वहीं एमटी-1 की खोज इसके आकार और गति के कारण चिंता बढ़ गई है। वहीं नासा ने भरोसा जताया है कि एस्टेरायड के पृथ्वी से टकराने की गुंजाइश बहुत कम है। यह धरती से तभी टकरा सकता है जब यह अपना रास्ता बदल ले। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी की ओर से एस्टेरायड के पथ की बारीकी से निगरानी की जा रही है। निगरानी के लिए एस्टेरायड वाच डैशबोर्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह क्षुद्रग्रह की स्थिति, गति और पृथ्वी से दूरी का रियल टाइम डेटा दे रहा है। जेपीएल के मुताबिक एमटी 1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी की दूरी से गुजरेगा। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार इस आकार के एस्टेरायड बेहद खतरनाक माने जाते हैं। अगर यह पृथ्वी से टकरा जाएं तो बड़ा नुकसान कर सकते हैं। एमटी 1 जैसे एस्टेरायड के प्रभाव से बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती है। यह बड़े पैमाने पर विस्फोट, आग और सुनामी ला सकते हैं। वहीं नासा का ग्रह रक्षा समन्वय कार्यालय ऐसे खतरों को कम करने की रणनीतियों पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है। बता दें कि पृथ्वी को हमेशा एस्टेरायड से खतरा रहता है। इसलिए इन खतरों से निपटने के लिए नासा ने डार्ट मिशन शुरू किया है। इस मिशन के तहत एक उल्कापिंड से अंतरिक्ष यान की टक्कर कराई गई थी। नवंबर 2021 में इस मिशन को लॉन्च किया गया था। सितंबर 2022 में यह एस्टेरायड डिमोर्फोस से टकराया था। इसी क्रम में 2024 एमटी-1 की खोज की गई थी। इस खोज ने खगोलविदों में एस्टेरायड के अध्ययन के प्रति रुचि जगा दी थी। अब दुनिया भर की वेधशालाएं क्षुद्रग्रह के नजदीक पहुंचने पर उसके तस्वीरें और डेटा कैप्चर करने की तैयारी कर रही हैं। वहीं नासा भी ऐसी टेक्नोलाजी बनाने में लगा है जो आसमानी खतरों को रोक सके।
Rajneesh kumar tiwari