नई दिल्ली। ब्रह्मांड में ऐसी दुर्लभ घटना होने वाली है जो 100 साल में एक बार होती है। इस प्रक्रिया से एक नए और अदभुत तारे का जन्म होेने वाला है। खास बात यह है कि इस नए तारे का जन्म विस्फोट के साथ होगा। ऐसे में सैंकड़ों साल बाद हो रहे इस दुर्भभ नजारें को देखने से प्रकृति प्रेमी न चूकें। हम आसमान में तारों को रोज देखते हैं लेकिन क्या कभी किसी तारे को बनते देखा है। इस सवाल का जवाब नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह ऐसी घटना है जो सदी में एक बार ही होती हैं। कई बार तो पूरी उम्र बिताकर भी लोग इसे नहीं देख पाते। लेकिन नासा ने खगोलविदों के लिए एक खुशखबरी साझा की है। जिसके अनुसार एक नए तारे के बनने की प्रक्रिया चल रही है जो अब से सितम्बर के बीच कभी भी आसमान में दिखाई देगा। नए खगोलविदों के लिए यह एक दुर्लभ मौका है, जब वे किसी तारे को बनता खुद देख सकते हैं। वे अपना खुद का डेटा इकठ्ठा कर सकते हैं। नोवा के रूप में जानी जाने वाली यह घटना मिल्की वे के कोरोना बोरेलिस यानी उत्तरी क्राउन तारामंडल में घटित होगी। यह बूट्स और हरक्यूलिस तारामंडल के बीच स्थित है। 1946 के बाद पहली बार होगा जब धरतीवासी किसी तारे को बनता आंखों से देख सकेंगे। बता दें कि जब किसी तारे की भयंकर विस्फोट के साथ मौत होती है तो इसे सुपरनोवा कहा जाता है। वहीं, नोवा एक खत्म हो चुके तारे में अचानक और संक्षिप्त विस्फोट को नोवा कहा जाता है, जिसे बौने तारे के रूप में जाना जाता है। बौना तारा हमेशा बना रहता है और एक दोहराव वाले चक्र में सामग्री छोड़ता है, जो हजारों वर्षों तक तक जारी रह सकता है। मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंडर में नोवा घटनाओं की एक्सपर्ट डॉ. रेबेका हाउंसेल ने कहा कि आम तौर पर हम जीवन काल में बार-बार विस्फोट नहीं देखते हैं। ऐसे में वर्तमान विस्फोट अविश्वसनीय रूप से रोमांचक होगा। नासा ने बताया कि नोवा विस्पोट टी कोरोना बोरेलिस में हो रहा है। जिसमें एक मृत बौना तारा और एक विशालकाय बूढ़ा लाल तारा शामिल है। बता दें कि लाल तारे उस प्रक्रिया के दौरान बनते हैं जब तारे परमाणु संलयन के लिए हाइड्रोजन की अपनी आपूर्ति समाप्त कर देते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार 5 या 6 अरब वर्षों में हमारा सूर्य भी एक विशालकाय बूढ़े तारे में तब्दील हो जाएगा। इसके बाद इसमें एक भयानक विस्फोट होगा जो सौर मंडल के ग्रहों को खत्म कर देगा। वहीं पृथ्वी का क्या होगा इस बारे में नासा के वैज्ञानिकों ने कुछ नहीं बताया है। विस्फोट के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि हर 80 साल या उससे अधिक समय में टी कोरोना बोरेलिस एक विस्फोटक घटना होती है। अपनी परिक्रमा के दौरान तारे एक दूसरे के इतनी करीब होते हैं कि उनमें हिंसक क्रिया होने लगती है। लाल विशालकाय तारा गर्म होने के साथ-साथ अस्थिर होता जाता है। इस प्रक्रिया में इसकी बाहरी परतें गिरने लगती है। इससे तारे का वातावरण धीरे-धीरे गर्म होता जाता है जिसके बाद नोवा यानी भयानक विस्फोट होती है।
Rajneesh kumar tiwari