जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने आखिरकार ब्रह्मांड का आधा हिस्सा खोज निकाला। ये हाइड्रोजन गैस के रूप में गैलेक्सियों के बाहर विशाल हेलो में छिपा था। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस खोज से गैलेक्सी और ब्लैक होल को समझने में मदद मिलेगी। वहीं ब्रह्मांड की गुत्थियां सुलझाने की एक नई शुरुआत बनेगा। वैज्ञानिकों ने जिस ब्रह्मांड के आधे हिस्से की खोज की है वह गायब मैटर की कहानी है। जिसे वैज्ञानिक दशकों से ढूंढ रहे थे। अब पता चला है कि वह हमारी गैलेक्सी के आस-पास था। इसके बावजदू वह वैज्ञानिकों की नजरों से छिपा हुआ था। ये हिस्सा बैरोनिक मैटर हैं। बता दें बैरोनिक मैटर से ही तारे, ग्रह, इंसान सब बने हैं। वैज्ञानिकों को अंदेशा था कि इसका करीब 50 प्रतिशत भाग कहीं गुम हाे गया था। अब जाकर इसकी भनक मिली है। यह गैलेक्सी के बाहर अदृश्य हाइड्रोजन के रूप में है। इस हाइड्रोजन को देखना नामुमकिन था। ये आयोनिक अवस्था में है। यह इतना फैला हुआ और हल्का है कि कोई टेलीस्कोप इसे नहीं पकड़ सकता था। इसके बावजूद इसे खोज लिया गया। इस खोज को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों ने सीधा आकाश नहीं देखा, बल्कि आकाश के पीछे की अदृश्य रोशनी को खोजा। यह कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड यानी सीएमबी है। यह ब्रह्मांड की पहली रोशनी हर दिशा में फैली है। जब ये रोशनी किसी गैस से टकराती है, तो हल्का-सा बदलाव आता है। उस बदलाव को पकड़ना आसान नहीं था। इसको पकड़ने के लिए वैज्ञानिकों ने स्टैकिंग नाम की एक ट्रिक लगाई। यानी एक जैसे लाखों ऑब्जर्वेशन को एक के ऊपर एक जमाकर देखा गया। इस प्रक्रिया से फीकी, अदृश्य गैस चमकने लगी। इससे खोई हुई हाइड्रोजन गैस का पता लगा लिया गया। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और लॉरेंस बर्कले लैब के रिसर्चर्स ने 8 यह अध्ययन किया है। शोधकर्ताओं ने अरबों प्रकाशवर्ष दूर 1 मिलियन रेड गैलेक्सी का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि हर गैलेक्सी के चारों ओर हाइड्रोजन का एक विशाल बादल है। यह इतना बड़ा है कि इसके बारे में पहले कभी सोचा नहीं गया था। ये गैस वहां कैसे पहुंची? इस बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके दो रास्ते हैं। एक- गैलेक्सी के बाहर से गैस आकर उसमें समा गई। दूसरा जब गैलेक्सी के सेंटर में मौजूद ब्लैक होल एक्टिव होता है, तो वह इतना तेज फोर्स छोड़ता है कि गैस को गैलेक्सी से बाहर धकेल देता है। यही गैस गैलेक्सी के चारों ओर छा गई। अब जो विशाल हाइड्रोजन के बादल मिले हैं वे बताते हैं कि ब्लैक होल बनने की प्रक्रिया शायद रुक-रुक कर होती है। यह कभी शांत, तो कभी अचानक भड़क उठती है। इस शोध से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि गैलेक्सी कैसे बनती है। कैसे बढ़ती है। रिसर्च बताती है कि ब्रह्मांड का कुछ और गायब मैटर डार्क मैटर की रेखाओं में छुपा है। यह कॉस्मिक वेब है जो गैलेक्सियों को आपस में जोड़ने का काम करता है। इस नई रिसर्च ने एक नया दरवाजा खोल दिया है। वैज्ञानिक अब इन अदृश्य गैसों को ढूंढने का नया तरीका पा चुके हैं। यह शोध ब्रह्मांड की गुत्थियां सुलझाने की एक नई शुरुआत बनेगा।
Rajneesh kumar tiwari