जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने अब एक और ऐसा ब्लैक होल खोजा है जो बहुत ही तेजी से चीजों को निगल रहा है। अध्ययन में पाया गया है कि इस सुपरमासिव ब्लैक होल ने 70 लाख सूर्यों के भार जितनी सामग्री निगल ली है। यह रफ्तार अभी थमी नहीं है। इस खुलासे ने वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह बात अब प्रमाणित हो चुकी है हमारा ब्रह्मांड अनगिनत रहस्यों से भरा हुआ है। वैज्ञानिक अभी तक इसके कुछ ही हिस्से का जान पाए हैं। ब्लैक होल इसी ब्रह्मांड का हिस्सा हैं। इसमें कोई शक नहीं कि ब्लैक होल रहस्यमयी हैं। दुनिया भर के वैज्ञानिक इसका अध्ययन कर रहे हैं। जैसे-जैसे अध्ययन की गति बढ़ती है वैसे-वैसे नई जानकारियां सामने आती हैं। जितना ब्लैक के बारे में पता किया जा रहा है उनका रहस्य और भी गहराता जा रहा है। अब खगोलविदों ने नासा के जेम्स वेब स्पेस टेसीस्कोप और चंद्रा एक्स रे वेधशाला की मदद से ब्रह्माण्ड के शुरूआत में बने सबसे भूखे ब्लैक होल का पता लगाया है। जिसने सामग्री निगलने की अपनी काबिलियत से सबको चौंका दिया है। बता दें कि इससे पहले वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की सामग्री निगलने की दर की अधिकतम सीमा को निर्धारित की थी। अब इस खोज ने उनके आकलन को झूठा साबित कर दिया। एलआईडी-568 की खोज अंतरराष्ट्रीय जेमिनी वेधशाला एनएसएफ नोइरलैब के खगोलशास्त्री ह्येवोन सुह की अगुआई में खगोलविदों की एक टीम ने की थी। जिसमें कई संस्थानों के एक्सपर्ट शामिल थे। सुह की टीम ने चंद्रा एक्स-रे वेधशाला के कॉस्मोस लेगेसी सर्वे से गैलेक्सी के नमूने का निरीक्षण करने के लिए जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग किया। सुह की टीम ने पाया है कि यह ब्लैक होल बहुत ही ज्यादा भूखा है। इसने केवल 1.2 करोड़ साल के अंदर उसने 70 लाख सूर्यों के भार जितनी सामग्री को निगल लिया है। यह किसी भी ब्लैक होल की सैद्धांतिक वृद्धि दर से काफी अधिक है। यह खोज यह भी बताती है की कैसे ब्लैक होल शुरूआती ब्रह्माण्ड में बहुत ही कम समय में पनप गए थे। नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित इस अध्ययन के शोधपत्र की सह लेखिका और अंतरराष्ट्रीय जेमिनी वेधशाला की जूलिया शार्वाचटर ने भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह ब्लैक होल एक दावत का आनंद ले रहा है। हबल स्पेस टेलीस्कोप ने प्रारंभिक ब्रह्मांड में सैकड़ों मिलियन या अरबों सौर द्रव्यमान वाले ब्लैक होल वाली गैलेक्सी पाई हैं। वैज्ञानिक यह समझ नहीं पाए हैं कि ब्लैक होल कैसे बने और इतनी जल्दी आकार में कैसे बड़े हो गए। दूरबीनों की मदद से वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ब्लैक होल को देखा है जो विशाल बनने की प्रक्रिया में है। यह ब्लैक होल बिग बैंग के 1.5 अरब साल बाद अस्तित्व में आ गया था। पहली बार दूर ब्रह्मांड में चमकदार एक्स-रे उत्सर्जित करने वाले पिंडों के सर्वेक्षण में देखा गया था। एक्स-रे के आधार पर इसकी सटीक स्थिति निर्धारित करना मुश्किल था। अंतरराष्ट्रीय जेमिनी वेधशाला में खगोलशास्त्री और अध्ययन की सह-लेखक इमानुएल फरीना ने कहा कि इसकी मंद प्रकृति के कारण इसका पता लगाना असंभव था। इसलिए इसे खोजने के लिए इंटीग्रल फील्ड स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग करना जरूरी हो गया था।
Rajneesh kumar tiwari