जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। शेख हसीना के एक पत्र ने बांग्लादेश में फिर सियासी जमीन को गर्म कर दिया है। ट्रंप की जीत पर भेज गए बधाई संदेश में उन्होंने खुद को बांग्लादेश का पीएम बताया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या ट्रंप के खिलाफ जहर उगलने वाले मोहम्मद यूनुस की बांग्लादेश की सत्ता से बेइज्जती भरी विदाई होगी। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री और देश की सबसे बड़ी पार्टी अवामी लीग की नेता शेख हसीना एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। शेख हसीना ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर डोनाल्ड ट्रंप को बधाई संदेश दिया है। इसमें शेख हसीना ने खुद को बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बनाया है। इस बयान के बाद बांग्लादेश में शेख हसीना को लेकर अचानक हलचल तेज हो गई है। अवामी लीग के कार्यालय सचिव के हस्ताक्षर वाला एक पत्र पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया है। जिसमें हसीना ने ट्रंप के असाधारण नेतृत्व गुणों की तारीफ की और उम्मीद जताई कि बांग्लादेश और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे। बता दें कि अभी हाल ही में बांग्लादेश के राष्ट्रपति ने भी यह बात स्वीकार की थी शेख हसीना ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। दूसरी ओर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को अमेरिका में नए ट्रंप प्रशासन से निपटने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि मोहम्मद यूनुस घोषित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के धुर विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। इसके अलावा उन्होंने 2016 में ट्रंप के चुनाव जीतने पर ऐसा बयान दिया था, जो अब उन पर भारी पड़ सकता है। ट्रंप पहले से ही मोहम्मद यूनुस को पसंद नहीं करते हैं। उन्होंने 2016 में बांग्लादेश से मिलने पहुंचे एक डेलिगेशन के सामने भी मोहम्मद यूनुस की आलोचना करते हुए कहा था कि वो मुझे चुनाव जीतते हुए नहीं देखना चाहते थे। बता दें कि 2016 में ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति चुनाव जीतने के ठीक बाद पेरिस में यूनुस ने एक व्याख्यान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि ट्रंप की जीत ने हमें इतना प्रभावित किया है कि आज सुबह मैं मुश्किल से बोल पा रहा था। मेरी सारी ताकत खत्म हो गई। क्या मुझे यहां आना चाहिए? राष्ट्रपति चुनाव जीतने से पहले भी ट्रंप ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे हमलों की आलोचना की थी। उन्होंने इसकी सार्वजनिक रूप से निंदा भी की थी। इसके अलावा अमेरिका के डेमोक्रेट्स ने यूनुस का खुले तौर पर समर्थन किया था। इसकी झलक मोहम्मद यूनुस की संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए हाल में ही अमेरिका यात्रा के दौरान दिखाई दिया। इस दौरान मोहम्मद यूनुस बहुत प्रेम से राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलते नजर आए थे। दोनों नेताओं के बॉडी लैंग्वेज को लेकर काफी सवाल उठे थे। इस बैठक पर सवाल उठे थे कि खुद को दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र कहने वाले देश अमेरिका का राष्ट्रपति एक अलोकतांत्रित तरीके से नियुक्त कार्यवाहक से कैसे मिल रहा है। इन सब घटनाओं को देखकर ऐसा लग रहा है कि जल्द ही बांग्लोदश में बहुत कुछ बदलने वाला है।
Rajneesh kumar tiwari